गुरुवार, 6 दिसंबर 2012

खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी

समस्त विश्व को वीरता का र्माग दिखाने वाली। शौर्य, तेज, दया, करुणा और देशभक्ती का जज़बा जिसके
Rani Laxmibai Essay in Hindi रानी लक्ष्मीबाई
वीरांगना – रानी लक्ष्मीबाई
रग रग में भरा हुआ था। माँ की मनु, बाजीराव की छबीली, सुभद्रा कुमारी चौहान की खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी। हम सब की प्रेरणास्रोत और चहेती रानी लक्ष्मीबाई का जन्म19 नवम्बर , 1835 को  काशी में हुआ था।
माता भागीरथी देवी एवं पिता मोरोपंत के श्रेष्ठ संस्कारों से बालिका मनु का मन और ह्रदय विविध प्रकार के उच्च और महान उज्जवल गुणों से सिंचित हुआ था। बचपन में ही माँ से विविध प्रकार की धार्मिक, सांस्कृतिक और शौर्यपूर्ण गाथाएं सुनकर मनु के मन में स्वदेश प्रेम की भावना और वीरता की उच्छल तरंगे हिलोरे लेने लगीं थी। इनका बचपन का नाम ‘मणिकर्णिका’ रखा गया परन्तु प्यार से मणिकर्णिका को ‘मनु’ पुकारा जाता था।
एक बार बचपन में ही काशी के घाट की सीढीयों पर वो बैठी हुई थी तभी कुछ अंग्रेज उस रास्ते से नीचे उतर रहे थे। मनु को रास्ते से हटने के लिये कहा किन्तु वो वहीं दृणनिश्चयी की तरह बैठी रहीं अंग्रेजों के प्रति उनके मन में रौष बचपन से ही था। अंग्रेज उन्हे बच्ची समझ कर दूसरी तरफ से निकल गये। उन्हे क्या पता था कि ये बच्ची उनके वजूद को मिटाने का दम रखती है।
लगभग पाँच वर्ष की अल्प आयु में ही माँ का साथ छूट गया तद्पश्चात  पिता मोरोपंत तांबे जो एक साधारण ब्राह्मण और अंतिम पेशवा  बाजीराव द्वितीय के सेवक थे, मनु को बिठूर ले गये। यहीं पर मनु ने मल्लविद्या, घुड़सवारी और शस्त्रविद्याएँ सीखीं। चूँकि घर में मनु की देखभाल के लिए कोई नहीं था इसलिए उनके पिता मोरोपंत मनु को अपने साथ बाजीराव के दरबार में ले जाते थे, जहाँ चंचल एवं सुन्दर मनु ने सबका मन मोह लिया था। बाजीराव मनु को प्यार से ‘छबीली’ बुलाते थे।
कानपूर के नाना की, मुँहबोली बहन छबीली थी,
नाना के सँग पढ़ती थी वह, नाना के सँग खेली थी,
बरछी, ढाल, कृपाण, कटारी उसकी यही सहेली थी।
वीर शिवाजी की गाथायें उसको याद ज़बानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।।
मनु का विवाह सन् 1842 में झाँसी के राजा गंगाधर राव निवालकर के साथ बड़े ही धूम-धाम से सम्पन्न हुआ। विवाह के बाद इनका नाम लक्ष्मीबाई रखा गया। इस प्रकार काशी की कन्या मनु, झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई बन गई। 1851 में उन्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई किन्तु विधाता ने तो उन्हे किसी खास प्रयोजन से धरती पर भेजा था। पुत्र की खुशी वो ज्यादा दिन तक न मना सकीं दुर्भाग्यवश शिशु तीन माह का होतो होते चल बसा। गंगाधर राव ये आघात सह न सके। लोगों के आग्रह पर उन्होने एक पुत्र गोद लिया जिसका नाम दामोदर राव रक्खा गया। गंगाधर की मृत्यु के पश्चात जनरल डलहौजी ने दामोदर राव को झांसी का उत्तराधिकारी मानने से इंकार कर दिया। रानी लक्ष्मीबाई ये कैसे सहन कर सकती थीं। उन्होने अंग्रेजों के विरुद्ध युद्ध का बिगुल बजा दिया और घोषणा कर दी कि मैं अपनी झांसी अंग्रेजों को नही दूंगी।
उदित हुआ सौभाग्य, मुदित महलों में उजियाली छाई,
किंतु कालगति चुपके-चुपके काली घटा घेर लाई,
तीर चलाने वाले कर में उसे चूड़ियाँ कब भाई,
रानी विधवा हुई, हाय! विधि को भी नहीं दया आई।
इस तरह सन् सत्तावन में प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की शुरुवात रानीलक्ष्मी बाई के द्वारा हुई। स्वतंत्रता की ये आग पूरे देश में धधक उठी। रानी ने ईंट का जवाब पत्थर से देने के लिये युद्ध का शंखनाद किया जिससे अंग्रेजों के पैर उखङने लगे। रानी के कुशल एवं विश्वसनीय तोपची थे गौस खाँ तथा ख़ुदा बक्श। मुन्दर और झलकारी सखियों ने भी साहस के साथ हर पल रानी का साथ दिया था। रानी ने क़िले की मज़बूत क़िलाबन्दी की। रानी के कौशल को देखकर अंग्रेज़ सेनापति सर ह्यूरोज भी चकित रह गया। अंग्रेज़ों ने क़िले को घेर कर चारों ओर से आक्रमण किया।
अंग्रेज़ आठ दिनों तक क़िले पर गोले बरसाते रहे परन्तु क़िला न जीत सके। रानी एवं उनकी प्रजा ने प्रतिज्ञा कर ली थी कि अन्तिम सांस तक क़िले की रक्षा करेंगे। अंग्रेज़ सेनापति ह्यूराज ने अनुभव किया कि सैन्य-बल से क़िला जीतना सम्भव नहीं है। अत: उसने कूटनीति का प्रयोग किया और झाँसी के ही एक विश्वासघाती सरदार दूल्हा सिंह को मिला लिया जिसने क़िले का दक्षिणी द्वार खोल दिया। फिरंगी सेना क़िले में घुस गई और लूटपाट तथा हिंसा का पैशाचिक दृश्य उपस्थित कर दिया। घोड़े पर सवार, दाहिने हाथ में नंगी तलवार लिए, पीठ पर पुत्र को बाँधे हुए रानी ने रणचण्डी का रूप धारण कर लिया और शत्रु दल संहार करने लगीं। झाँसी के वीर सैनिक भी शत्रुओं पर टूट पड़े। जय भवानी और हर-हर महादेव के उद्घोष से रणभूमि गूँज उठी। किन्तु झाँसी की सेना अंग्रेज़ों की तुलना में छोटी थी। रानी अंग्रेज़ों से घिर गयीं। कुछ विश्वासपात्रों की सलाह पर रानी कालपी की ओर बढ़ चलीं। दुर्भाग्य से एक गोली रानी के पैर में लगी और उनकी गति कुछ धीमी हुई। अंग्रेज़ सैनिक उनके समीप आ गए। रानी ने अपना घोड़ा दौड़ाया पर दुर्भाग्य से मार्ग में एक नाला आ गया। घोड़ा नाला पार न कर सका, तभी अंग्रेज़ घुड़सवार वहाँ आ गए। एक ने पीछे से रानी के सिर पर प्रहार किया जिससे रानी बुरी तरह से घायल हो गईं, उसी समय दूसरे गोरे सैनिक ने संगीन से उनके हृदय पर वार कर दिया। अत्यन्त घायल होने पर भी रानी अपनी तलवार चलाती रहीं और उन्होंने दोनों आक्रमणकारियों का वध कर डाला। फिर वे स्वयं भूमि पर गिर पड़ी। पठान सरदार गौस ख़ाँ अब भी रानी के साथ था। उसका रौद्र रूप देख कर गोरे भाग खड़े हुए। स्वामिभक्त रामराव देशमुख अन्त तक रानी के साथ थे। उन्होंने रानी के रक्त रंजित शरीर को समीप ही बाबा गंगादास की कुटिया में पहुँचाया। रानी ने व्यथा से व्याकुल हो जल माँगा और बाबा गंगादास ने उन्हें जल पिलाया। वे अपने सम्मान के प्रति सदैव सजग रही, उन्होंने यही कामना की कि यदि वे रणभूमि में लड़ते-लड़ते मृत्यु को वरन करें तब भी उनका शव अंग्रेजों के हाथ न लगे। अदभुत और अद्मय साहस से अंतिम सांस तक युद्ध करने वाली विरांगना ने  अन्त में स्वतंत्रता की बली बेदी पर अपने प्रांण न्यौछावर कर दिये।  बाबा गंगादास ने तुरंत कुटिया को ही चिता बनाकर उनका अंतिम संस्कार कर दिया ताकि अंग्रेज उनको छू भी न सकें। ग्वालियर में आज भी रानी लक्ष्मीबाई की समाधी उनकी गौरवगाथा की याद दिलाती है।
देश के पहले स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली रानी लक्ष्मीबाई के अप्रतिम शौर्य से चकित अंग्रेजों ने भी उनकी प्रशंसा की थी।लड़ाई की रिपोर्ट में ब्रिटिश जनरल ह्यूरोज़ ने टिप्पणी की कि रानी लक्ष्मीबाई अपनी “सुंदरता, चालाकी और दृढ़ता के लिए उल्लेखनीय” और “विद्रोही नेताओं में सबसे खतरनाक” थीं।
ऐसी विरांगना से आज भी राष्ट्र गर्वित एवं पुलकित है।उनकी देश भक्ती की ज्वाला को काल भी बुझा नही सकता। रानी लक्ष्मीबाई को शब्दों में बाँधा नही जा सकता वो तो पुरे विश्व में अद्मय साहस की परिचायक हैं। उनको शब्दो के माध्यम से याद करने का छोटा सा प्रयास है।भावपूर्ण शब्दाजंली से शत् शत् नमन करते हैं।
“रानी गई सिधार चिता अब उसकी दिव्य सवारी थी,
मिला तेज से तेज, तेज की वह सच्ची अधिकारी थी,
अभी उम्र कुल तेइस की थी, मनुज नहीं अवतारी थी,
हमको जीवित करने आयी बन स्वतंत्रता-नारी थी,
दिखा गई पथ, सिखा गई हमको जो सीख सिखानी थी,”
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।।
 जयहिन्द
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मै अपनी झाँसी नहीं दूँगी: हिंदुस्थान की वीरांगना को नमन


विनायक दामोदर सावरकर लिखते है -संसार के सामने दृढ़तापूर्वक कहा गया नहींशब्द बहुत कम आया है | भारत के उदारमना लोगो के मुह से अब तक यही एक शब्द सुनाई देता आया है मै दूँगाकिन्तु लक्ष्मीबाई ने यह विलक्षण जयघोष किया – ‘ मै अपनी झाँसी नहीं दूँगी ‘ | काश यह आवाज भारत के हर मुँह से गूँजी होती
इतिहास के पन्नो मे अमिट एवं हिंदुस्तान की स्वतन्त्रता संग्राम की वीरांगना रानी लक्ष्मी बाई का जन्म 19 नवम्बर 1835 को काशी मे हुआ था। इनके बचपन का नाम मनुबाई था मनुबाई े पिता का नाम मोरोपंत तांबे एवं माता का नाम भगीरथी बाई था। इनके पिता महाराष्ट्र मे बाजीराव पेशवा के यहाँ कार्यरत थे सान 1818 मे जब अंग्रेज़ो ने पेशवा पदवी खत्म  की तो  मोरोपंत तांबे  पेशवा के भाई के साथ बनारस आ गए जबकि पेशवा बिठूर चले गए। पेशवा के भाई की मृत्यु के बाद मोरोपंत भी बिठुर आ गए। चार वर्ष की ही अल्पायु मे मनुबाई की माता का देहांत हो गया॥ बाजीराव पेशवा की कोई संतान नहीं थी अतः उन्होने नाना घोडूपंत नाम के बालक को गोंद ले लिया यही बालक नाना के नाम से प्रसिद्ध हुआ॥ मनुबाई के बचपन के मित्र नाना थे और इनके पसंद के खेल तलवारबाजी बंदूक चलाना घुड़सवारी कुश्ती। मनुबई बेहद हठी और चंचल बालिका थी एवं इनके शौक बालको एवं योद्धाओं जैसे  थे । इनके सुंदर चेहरे के कारण इन्हे लोग प्यार से छबीली बुलाते थे मगर स्वयं मनुबाई को ये नाम पसंद नहीं था।
झाँसी के प्रकांड विद्वान तात्या दीक्षित एक बार बीठूर  बाजीराव पेशवा से मिलने आए ।मनुबाई को देख झाँसी नरेश एवं मनुबाई के रिश्ते के लिए दीक्षित ने मध्यस्थता की । जब रिश्ता तय हो रहा था उस समय मनुबाई अन्य बालिकाओं से इतर अक्सर इस बात की चर्चा करती रहती की झाँसी की सेना कितनी बड़ी है क्या हम  इस सेना की सहायता से अंग्रेज़ो से अपना राजी वापस ले सकते हैं॥ उनकी इस बात को बाजीराव और उनके पिता मोरोपांत बाल विनोद समझकर भुला देते थे । विवाह की शर्तों पर चर्चा के लिए झासी के राजा एवं बिठूर के पुरोहितो की वार्ता मे निर्णय ये हुआ की विवाह का पूरा खर्च झासी नरेश उठाएंगे और मोरोपांत स्थायी रूप से झसी मे बस जाएंगे तथा उनकी गिनती झाँसी के सरदारो मे होगी।
विवाह के बाद मनुबाई झाँसी की रानी लक्ष्मी बाई के रूप मे प्रसिद्ध हुई । गंगाधर एक निर्दयी शासक के रूप मे आलोकप्रिय होते जा रहे थे उसी समय अङ्ग्रेज़ी कंपनी ने झांसी राज्य को एक संधि करने के लिए विवश किया जिसके अनुसार अङ्ग्रेज़ी सेना झाँसी के खर्चे पर झाँसी मे रहेगी तथा एक क्षेत्र कंपनी के अधिकार मे दे दिया जाएगा । इस समझौते से झाँसी का नुकसान हुआ मगर  गंगाधर को अब शासन के अधिकार को अंग्रेज़ो ने मान्यता दे दी ।
लक्ष्मी बाई को ये पसंद नहीं आया मगर राजी का अधिकार गंगाधर के पास था । साल बाद रानी को पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई मगर कम के क्रूर पंजो के कारण पुत्र की जल्द मृत्यु हो गयी । राजा का स्वास्थ्य भी गिर रहा था,सन1853 मे रानी ने एक दत्तक पुत्र दामोदर को गोद लेने का प्रयास किया जिससे राजा का स्वास्थ्य सुधरे और झाँसी को वारिस मिले ॥राजा ने कंपनी के पुलिस कप्तान मार्टिन को इस नए परिवर्तन और राजी के उत्तराधिकारी के बारे मे सूचित किया । ठीक उसी समय राजा की तबीयत बिगड़ी और उनका स्वर्गवास हो गया । राजा के स्वर्गवास के समय अंग्रेज़ो ने झाँसी के अतिरिक्त लगभग सारे हिस्सो पर अधिकार कर लिया था अब उनकी कुटिल नजर झाँसी पर थी ॥ नाना ,तात्या टोपे और लक्ष्मीबाई ने आते हुए खतरो को भाप कर मृतप्राय हो चुके राजाओं को संगठित करना शुरू किया ।
इसी समय अंग्रेज़ो से नबाब अली बहादुर और खुदाबक्स  नाम के दो सरदारो को अंग्रेज़ो ने अपनी ओर मिला लिया एवं रानी के दत्तक पुत्र दामोदर राव को मान्यता न देते हुये झाँसी पर अधिकार का दावा  कर दिया॥ इसी समय भारत मे स्वतन्त्रता संग्राम  मंगल पांडे के विद्रोह से शुरू हो गया ।14 मार्च, 1857 से आठ दिन तक तोपें किले से आग उगलती रहीं।  अंग्रेज सेनापति ह्यूरोज लक्ष्मीबाई की किलेबंदी देखकर दंग रह गया। रानी रणचंडी का साक्षात रूप रखे पीठ पर दत्तक पुत्र दामोदर राव को बांधे भयंकर युद्ध करती रहीं. झांसी की मुट्ठी भर सेना ने रानी को सलाह दी कि वह कालपी की ओर चली जाएं। झलकारी बाई और मुंदर सखियों ने भी रणभूमि में अपना खूब कौशल दिखाया. अपने विश्वसनीय चार-पांच घुड़सवारों को लेकर रानी कालपी की ओर बढ़ीं. अंग्रेज सैनिक रानी का पीछा करते रहे।  कैप्टन वाकर ने उनका पीछा किया और उन्हें घायल कर दिया। 
22 मई, 1857 को क्रांतिकारियों को कालपी छोड़कर ग्वालियर जाना पड़ा।  17 जून को फिर युद्ध हुआ. रानी के भयंकर प्रहारों से अंग्रेजों को पीछे हटना पड़ा।  महारानी की विजय हुई, लेकिन 18 जून को ह्यूरोज स्वयं युद्धभूमि में आ डटा।  लक्ष्मीबाई ने दामोदर राव को रामचंद्र देशमुख को सौंप दिया।  सोनरेखा नाले को रानी का घोड़ा पार नहीं कर सका।  वहीं एक सैनिक ने पीछे से रानी पर तलवार से ऐसा जोरदार प्रहार किया कि उनके सिर का दाहिना भाग कट गया और आंख बाहर निकल आई। घायल होते हुए भी उन्होंने उस अंग्रेज सैनिक का काम तमाम कर दिया। रानी के विश्वस्त गुलमुहम्मद और रघुनाथ सिंह रानी को उस हालत मे  बाबा गंगादास की कुटी पर ले गए । वहाँ रामचन्द्र ने रानी को अपनी वर्दी पर लिटाया एवं साफे से उनके सिर का घाव बांध दिया॥ बाबा गंगादास उन्हे देखते ही पहचान गए और बोले "सीता और सावित्री के देश की कन्याएँ हैं ये॥"
बाबा ने रानी के मुह पर गंगाजल डाला तब रानी होश मे आई ॥ एक बार हर हर महादेव का उच्चारण किया और बेहोश हो गयी। दूसरी बार गंगाजल डालने पर रानी ने "ॐ वसुदेवाय नमः" का उच्चारण किया और चिरनिद्रा मे विलीन हो गयी।  ये समय सूर्यास्त का था और "झाँसी का सूर्य  भी अस्त हो चुका था " लकड़िया इतनी नहीं थी रानी और उनकी सहेली मुंदर का दाह संस्कार हो सके अतः बाबा ने अपनी कुटिया उधेड़ लाने को कहा और दोनों शवों का दाह संस्कार किया गया ॥
रानी के सहयोगी रामचन्द्र देशमुख जी उनके पुत्र दामोदर राव  को लेकर दक्षिण की ओर चले गए । जब उन्होने पुनः लौटकर युद्ध किया तो वो भी मारे गए । महारानी की अस्थियाँ पर्णकुटी के प्रांगड़ मे दफना दी गयी .
जब हिंदुस्तान का इस्लामिक स्तम्भ दिल्ली का बादशाह  शेरो शायरी  मे व्यस्त था  उसी समय सुदूर झाँसी में बैठी एक हिन्दू स्त्री सिंह गर्जना करती हुई यह एतिहासिक वाक्य कह रही थी– ” मै अपनी झाँसी नहीं दूगी अपने शब्दो पर कायम रहते हुए  झाँसी की रानी ने अभूतपूर्व वीरता का परिचय दिया और स्वाधीनता संग्राम के हवन कुंड मे अपना जीवन आहूत कर डाला ॥

हिंदुस्थान की इस महान हिन्दू वीरांगना को जन्मदिवस पर शत शत अभिनंदन ॥ 

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मंगलवार, 27 नवंबर 2012

कैसे सीखें अंग्रेजी बोलना ? 12 Ideas

Learn Spoken English Through Hindi

कैसे  सीखें  अंग्रेजी  बोलना ? 

इस  article में  मैं  Spoken English सीखने  से  सम्बंधित  अपनी  thoughts share कर  रहा  हूँ , यह  मेरा  व्यक्तिगत  दृष्टिकोण   है  और  आप  इससे  पूरी  तरह   असहमत  भी  हो  सकते  हैं , पर  यदि  इससे  कुछ  लोगों  को  फायदा  पहुँचता  है  तो  मुझे  ख़ुशी  होगी.  :)
दोस्तों  हमारे  देश  में  अंग्रेजी  बोलना  सीखना एक  बहुत  बड़ा  business है . ख़ास  तौर पे  छोटे  शहरों   में  इसका  कुछ  ज्यादा  ही  craze है . आपको  जगह -जगह  English Speaking से  related ads दिख  जायेंगे , “ 90 घंटे  में  अंग्रेजी  बोलना  सीखें ,”, ”फर्राटेदार  अंग्रेजी  के  लिए  join  करें   XYZ School of Language” etc.
पर  क्या  यह school सचमुच  इतने  effective हैं ? शायद  नहीं ! क्योंकि  वो  पहले  ही  गलत  expectation set कर  देते  हैं ! मात्र  90 घंटे   सीखकर   किसी  भाषा  को आसानी  के  साथ  बोलना  बहुत मुश्किल है . हाँ , ये   हो  सकता  है  कि  कुछ  दिन  वहां  जाकर  आप  पहले  की  अपेक्षा  थोडा  और  fluent हो  जाएं  , पर  ऐसे कम  ही  लोग  होते हैं जो सचमुच अपनी इंग्लिश बोलने की काबीलियत का  श्रेय  ऐसे school को दे सकें.अगर आप  पहले  से  ठीक-ठाक अंग्रेजी बोल लेते हैं और  तब  ऐसी  जगह  जाते  हैं  तो  यह  आपके  लिए  फायदेमंद  हो  सकता  है , नहीं  तो  आपके  लिए  अच्छा  होगा  कि   आप  इस  mindset के  साथ  जाइये  कि  ऐसे  school में  जाकर  आप  एक  start कर  सकते  हैं  पर  यहाँ  से  निकलने  के  बाद  भी आपको  काफी  दिनों  तक  पूरी  dedication के  साथ  लगे  रहना  होगा .
तो  आइये  सबसे  पहले  मैं  आपके  साथ  अंग्रेजी  बोलने  से  सम्बंधित  कुछ  myths share करता  हूँ :
English बोलने  के  लिए  grammar अच्छे  से  आना  चाहिए : यह  एक  बहुत  बड़ा  myth है , आप  ही  सोचिये  कि  जब  आपने  हिंदी  बोलना  सीखा  तो  क्या  आपको  संज्ञा , सर्वनाम , इत्यादि  के  बारे  में  पता  था ?  नहीं  पता  था , क्योंकि  उसकी  जरूरत  ही  नहीं  पड़ी  वो  तो  बस  आपने  दूसरों  को  देखकर -सुनकर  सीख  लिया . उसी  तरह  अंग्रेजी  बोलने  के  लिए  भी  Grammar की  knowledge जरूरी  नहीं  है . English Medium school से अच्छी  शिक्षा मिलने  के  कारण  मैं  अच्छी  English बोल  लेता  हूँ , पर  यदि  आप  मेरा  Tenses का  test लें  तो  मेरा  पास  होना  भी  मुश्किल  होगा .:)
कुछ  ही  दिनों  में  अंग्रेजी  बोलना  सीखा  जा  सकता  है : गलत ! अपनी  मात्र  भाषा  से  अलग  कोई  भी  भाषा  सीखने  में  समय  लगता  है . कितना  समय  लगेगा  यह person to person differ करेगा . पर  मेरा  मानना  है  कि  यदि  कोई  पहले  से  थोड़ी  बहुत  अंग्रेजी  जानता  है और  वो  dedicated होकर  effort करे  तो  6 महीने  में  अच्छी  अंग्रेजी  बोलना  सीख  सकता  है .और  यदि  आप  सीख  ही  रहे  हैं  तो  कामचलाऊ  मत  सीखिए , अच्छी  English सीखिए .
English Medium से पढने वाले ही अच्छी अंग्रेजी बोल पाते हैं: यह  भी  गलत  है . अपने  घर  की  ही  बात  करूँ  तो  मेरे  बड़े  भैया  ने  Hindi Medium से  पढाई  की  है , पर  आज   वो  बतौर  Senior Consultant काम  करते  हैं  और  बहुत  अच्छी  English लिखते – बोलते  हैं . यदि  आपको  ऐसी  schooling नहीं  मिली  जहाँ  आप  अंग्रेजी बोलना  सीख  पाए  तो  उसपर  अफ़सोस  मत  कीजिये , जो  पहले  हुआ  वो  past है , present तो  आपके  हाथ  में  है  जो  चीज  आप  पहले  नहीं  सीख  पाए  वो  अब  सीख  सकते  हैं , in fact as an adult आप  अपनी  हर  उपलब्धि  या  नाकामयाबी  के  लिए  खुद   जिम्मेदार  हैं.
अंग्रेजी  बोलने  के  लिए  अच्छी   vocabulary होना  जरूरी  है : नहीं , vocabulary जितनी  अच्छी  है  उतना  अच्छा   है , पर   generally आम -बोल  चाल  में  जितने  words बोले  जाते  हैं , वो  आपको  पहले   से  ही  पता  होंगे या थोड़ी सी मेहनत से आप इन्हें जान जायेंगे.  दरअसल  हम  जो  words जानते  हैं  बस  उन्ही  को  सही  जगह  place करने  की  बात  होती  है . मैंने कई बार लोगों को एक से एक कठिन words की meaning रटते देखा है, पर ऐसा करना आपकी energy  ऐसी जगह लगाता है जहाँ लगाने की फिलहाल ज़रुरत नहीं है.
अगर आप ऊपर दिए गए किसी मिथक को मानते हों तो अब उनसे छुटकारा पा लीजिये , और स्पोकेन इंग्लिश सीखने के लिए नीचे दिए गये सुझावों को  अपनाइए .
12 Ideas to Learn Spoken English
स्पोकेन इंग्लिश सीखने के 12 सुझाव   
1. अपना महौल English बनाएं  : किसी  भी  भाषा  को  सीखने  में  जो  एक  चीज  सबसे  महत्त्वपूर्ण  होती  है  वो  है  हमारा  environment, हमारा  माहौल .  आखिर  हम  अपनी  मात्र -भाषा  छोटी  सी  ही  उम्र   में  कैसे  बोलने  लगते  हैं :- क्योंकि   24X7 हम  ऐसे  माहौल  में  रहते  हैं  जहाँ  वही  भाषा  बोली  , पढ़ी, और  सुनी  जाती  है .  इसीलिए  अंग्रेजी  बोलना  सीखना  है  तो  हमें  यथा  संभव  अपने  माहौल  को  English बना  देना  चाहिए .  इसके  लिए  आप  ऐसा  कुछ  कर  सकते  हैं:
•         हिंदी  अखबार  की  जगह  English Newspaper पढना  शुरू  कीजिये .
•         हिंदी  गानों  की  जगह  अंग्रेजी  गाने  सुनिए .
•         अपने interest के English program / movies देखिये .
•         अपने  room को  जितना  English बना  सकते  हैं  बनाइये ….English posters, Hollywood actors,English  books,Cds ..जैसे  भी   हो  जितना  भी  हो  make it English.
2. ऐसे लोगों के साथ group बनाएं जो आप ही की तरह स्पोकेन इंग्लिश सीखना चाहते हों : कुछ ऐसे  दोस्त   खोजिये  जो  आप   ही  की  तरह  अंग्रेजी  बोलना सीखना  चाहते  हैं .  अगर  आपके  घर  में  ही  कोई  ऐसा  है  तो  फिर  तो  और  भी  अच्छा  है . लेकिन  अगर  ना  हो  तो  ऐसे  लोगों  को  खोजिये , और  वो  जितना  आपके  घर  के  करीब  हों  उतना अच्छा  है . ऐसे दोस्तों  से  अधिक  से  अधिक  बात  करें  और  सिर्फ  English में . हाँ  ,चाहें  तो  आप  mobile पर  भी  यही  काम  कर  सकते  हैं .
 3. कोई mentor बना लें: किसी ऐसे व्यक्ति को अपना mentor बना लें जो अच्छी English जानता हो, आपका कोई मित्र, आपका कोई रिश्तेदार, कोई पडोसी, कोई अंग्रेजी सीखाने वाला institute ….कोई भी जो आपकी मदद के लिए तैयार हो. आपको अपने मेंटर से जितनी मदद मिल सके लेनी होगी. अगर आप को मेंटर ना मिले तो भी मायूस होने की ज़रुरत नहीं है आप अपने efforts में लगे रहे , मेंटर मिलने सी आपका काम आसानी से होता लेकिन ना मिलने पर भी आप अपने प्रयास से यह भाषा सीख सकते हैं.
 4. पहले  दिन  से  ही correct English बोलने  का  प्रयास  मत  करें : अगर  आप  ऐसा  करेंगे  तो   आप   इसी  बात  में  उलझे  रह  जायेंगे  की  आप  सही  बोल  रहे  हैं  या  गलत . पहला  एक -दो  महिना  बिना  किसी  tension के   जो  मुंह  में  आये  बोले , ये  ना  सोचें  कि  आप  grammatically correct हैं  या  नहीं .  जरूरी  है  कि  आप  धीरे -धीरे  अपनी  झिझक  को  मिटाएं  .
 5. English सीखने के लिए  Alert रहे : वैसे  तो  मैं  अपनी  spoken English का  श्रेय   अपने  school St.Paul’s को  देता हूँ  पर  अंग्रेजी  के लिए  अपनी  alertness की  वजह  से  भी  मैंने  बहुत  कुछ   सीखा  है . मैं  जब  TV पर  कोई  English program देखता  था  तो  ध्यान  देता  था  की  words को  कैसे  pronounce किया  जा रहा  है , और  किसी  word को  sentence में  कैसे  use  किया  जा रहा  है . इसके  आलावा  मैंने  नए  words सीखने  के  लिए  एक  diary भी  बनायीं  थी  जिसमे  मैं  newspaper पढ़ते  वक़्त जो  words नहीं  समझ  आते  थे  वो  लिखता  था , और  उसका use  कर  के एक  sentence भी  बनता  था , इससे  word की  meaning याद  रखने  में  आसानी  होती  थी .
6. बोल  कर  पढ़ें : हर  रोज  आप  अकेले  या  अपने  group में  तेज  आवाज़  में  English का  कोई  article या  story पढ़ें . बोल -बोल  कर   पढने  से  आपका  pronunciation सही  होगा , और  बोलने  में  आत्मविश्वास  भी  बढेगा .
 7. Mirror का use करें  : मैं  English बोलना  तो  जानता  था  पर  मेरे  अन्दर  भी  fluency की  कमी  थी , इसे ठीक  करने  के  लिए  मैं  अक्सर  अकेले  शीशे  के  सामने  खड़े  होकर   English में  बोला  करता  था . और  अभी  भी  अगर  मुझे  कोई  presentation या  interview देना  होता  है  तो  मैं  शीशे   के  सामने  एक -दो  बार  practice  करके  खुद  को  तैयार  करता  हूँ .  आप  भी  अपने  घर  में  मौजूद  mirror का  इस्तेमाल  अपनी  spoken English improve करने  के  लिए  कीजिये .  शीशे  के  सामने  बोलने  का  सबसे  बड़ा  फायदा  है  कि  आप  को  कोई  झिझक  नहीं  होगी  और  आप  खुद  को  improve कर  पाएंगे .
8. Enjoy the process: English बोलना  सीखेने  को  एक  enjoyment की  तरह  देखें  इसे अपने  लिए  बोझ  ना  बनाएं .  आराम  से  आपके  लिए  जो  speed comfortable हो  उस  speed से  आगे  बढें  . पर  इसका  ये  मतलब  नहीं  है  कि  आप  अपने  प्रयत्न  एकदम  से  कम   कर  दें , बल्कि  जब  आप  इसे  enjoy करेंगे  तो  खुद -बखुद  इस  दिशा  में  आपके  efforts और  भी  बढ़  जायेंगे .  आप  ये  भी  सोचें  कि  जब  आप  fluently बोलने  लगेंगे  तब  कितना  अच्छा लगेगा  , आप  का  confidence भी  बढ़  जायेगा  और  आप  सफलता  की  तरफ  बढ़ने  लगेंगे .
 9. English में सोचना शुरू करें : जब  इंसान  मन  में  कुछ  सोचता  है  तो  naturally वो  अपनी  मात्र  भाषा  में  ही  सोचता  है . लेकिन  चूँकि  आप  English सीखने  के  लिए  committed हैं  तो  आप  जो  मन  में  सोचते  हैं  उसे  भी  English में  सोचें . यकीन  जानिये  आपके  ये  छोटे -छोटे  efforts आपको  तेजी  से  आपकी  मंजिल  तक  पंहुचा  देंगे .
10. ऐसी  चीजें   पढ़ें जो समझने में बिलकुल आसान हों: बच्चों की English comics आपकी हेल्प कर सकती है, उसमे दिए गए pictures आपको story समझने  में हेल्प करेंगे और simple sentence formation भी आम बोल चाल में बोले जाने वाले सेंटेंसेस पर आपकी पकड़  बना देंगे.
11. Internet का use करें : आप स्पोकेन इंग्लिश सीखने के लिए इन्टरनेट का भरपूर प्रयोग करें. You Tube पर available  videos आपकी काफी हेल्प कर सकते हैं.  सही pronunciation और meaning के लिए आप TheFreeDictionary.Com का use कर सकते हैं.  AchhiKhabar.Com पर दिए गए Quotes भी आपकी मदद कर सकते हैं, चूँकि मैंने जो quotes collect किये हैं वो English और Hindi दोनों में हैं तो आप वहां से भी कुछ सीख  सकते हैं और साथ ही महापुरुषों के अनमोल विचार भी जान सकते हैं.
12. Interest मत  loose कीजिये : अधिकतर  ऐसा  होता  है  कि  लोग  बड़े  जोशो -जूनून  के  साथ  English सीखना  शुरू  करते  हैं . वो  ज्यादातर  चीजें  करते  हैं  जो  मैंने  ऊपर  बतायीं , पर  दिक्कत  ये  आती  है  कि  हर  कोई  अपनी  comfort zone में  जाना  चाहता  है . आपकी  comfort zone Hindi है  इसलिए  आपको  कुछ  दिनों  बाद  दुबारा  वो  अपनी  तरफ  खींचेगी  और  ऊपर  से  आपका  माहौल  भी  उसी  को  support करेगा . इसलिए  आपको  यहाँ  पर  थोड़ी  हिम्मत  दिखानी  होगी , अपना  interest अपना  enthusiasm बनाये  रखना  होगा .  इसके  लिए  आप  English से  related अपनी  activities में  थोडा  innovation डालिए . For example : यदि  आप  रोज़ -रोज़  serious topics पर  conversation करने से  ऊब  गए  हों  तो  कोई  abstract topic, या  फ़िल्मी   मसाले  पर  बात  करें ,  कोई इंग्लिश मूवी देखने चले जाएँ, या फिर कुछ और करें जो आपके दिमाग में आये.आप  एक -दो  दिन  का  break भी  ले  सकते  हैं , और  नए  जोश  के  साथ  फिर  से  अपने  mission पर  लग  सकते  हैं . पर  कुछ  ना  कुछ  कर  के  अपना  interest बनाये  रखें . वरना  आपका  सारा  effort waste चला  जायेगा .
Friends, English एक universal language है, इसे दुनिया भर में अरबों लोग बोलते हैं, तो आप ही सोचिये जो काम अरबों लोग कर सकते हैं भला आप क्यों नहीं!!! बस इतना याद रखिये कि अंग्रेजी  बोलना सीखने का सबसे सरल तरीका है “अंग्रेजी बोलना”  और इस लिए आपको ऐसे लोगों के साथ अधिक से अधिक  रहना चाहिए जिनसे आप इंग्लिश में बात कर सकते हैं. अपनी झिझक मिटाइए और ऐसे हर एक मौके का फायदा उठाइए जहाँ आपको English बोलने का मौका मिल रहा हो.
तो फिर देर किस बात की है बस लग जाइये अपने efforts में और अपने भाषा ज्ञान में अंग्रेजी भी जोड़ लीजिये.All the best! :)
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Anna Hazare Quotes in Hindi

Anna Hazare Quotes in Hindi
जो अपने लिए जीते हैं वो मर जाते हैं , जो समाज के लिए मरते हैं वो जिंदा रहते हैं .


Name Kisan Babu Rao Hazare / किसन बाबुराव हजारे
Born 15 June 1937 (age 74) Bhingar, Bombay Province, British India
Nationality Indian
Field Social Work
Achievement A well-known social activist known for fighting for various noble causes.Indian anti-corruption movement – (Lokpal Bill),Watershed development programmes,Right to Information, Padma Shri (1990),Padma Bhushan (1992)

अन्ना हजारे के अनमोल विचार  

Quote 1: Lakhs of people sacrificed their lives for freedom but due to selfishness of some people we have not got the right freedom.
In Hindi: स्वतंत्रता  के  लिए  लाखों  लोगों  ने  अपना  जीवन  बलिदान  कर  दिया  लेकिन  कुछ  स्वार्थी  लोगों  के  कारण हमें सही  स्वतंत्रता  नहीं  मिली .
 Anna Hazare अन्ना हजारे 
Quote 2: I want to tell the youth of this country that this fight should not be stopped with Lokpal alone. We have to fight for removing the faults of the present electoral reforms. Because of the fault in electoral system, 150 criminals have reached Parliament.
In Hindi: मैं  इस  देश  के  युवाओं  से  कहना  चाहता  हूँ  कि  यह  लड़ाई  लोकपाल  के  साथ  ख़तम  नही  होनी  चाहिए . हमें   मौजूदा  चुनावी  सुधारों  में  मौजूद  खामियों  को  दूर  करने  के  लिए  लड़ना  है .  क्योंकि  चुनाव  प्रणाली  में  दोष  के  कारण  150 अपराधी  संसद  तक  पहुच  चुके  हैं .
 Anna Hazare अन्ना हजारे 
Quote 3: Yesterday my Blood Pressure was down, but today it is back in control because the strength of the nation is behind me.
In Hindi: कल  मेरा  रक्त  चाप  कम  था  , लेकिन  आज   यह  फिर  से  नियंत्रण  में  है  क्योंकि  देश  की  ताकत  मेरे  पीछे  है .
 Anna Hazare अन्ना हजारे 
Quote 4:  This government doesn’t have the will to setup an effective Lokpal.
In Hindi: इस  सरकार  में  एक  प्रभावी  लोकपाल  लाने की  इच्छा  नहीं  है .
 Anna Hazare अन्ना हजारे 
Quote 5: After Lokpal, we will also have to fight for farmers’ rights, bring a law that ensures permission of gram sabhas before land acquisition.
In Hindi: लोकपाल  के  बाद , हमें  किसानो  के  अधिकार  के  लिए  लड़ना  होगा , एक  ऐसा  क़ानून  लाना  होगा  जो  सुनिश्चित  करे  कि भूमि   अधिग्रहण  से  पहले  ग्राम  सभाओं  की  अनुमति  लेना  अनिवार्य  होगा .
 Anna Hazare अन्ना हजारे 
Quote 6:  The same loot, same corruption, same rowdyism still exists.
In Hindi: वही  लूट , वही  भ्रष्टाचार  , वही  उपद्रवता  अभी  भी  मौजूद  है .
 Anna Hazare अन्ना हजारे 
Quote 7: I Request the people of my country to continue this kranti. People should continue to fight even if I am not there.
In Hindi: मैं  इस  देश  के  लोगों  से  अनुरोध  करता  हूँ  कि  इस  क्रांति  को  जारी  रखें  . मैं  ना  हूँ  तो  भी  लोगों  को  संघर्ष  जारी  रखना  चाहिए .
 Anna Hazare अन्ना हजारे 
Quote 8:  I have lost 5 and a half kg, nothing big, I am fine.
In Hindi: मेरा वज़न साढ़े पांच  किलो कम हुआ   है , कुछ  ज्यादा  नही , मैं  ठीक  हूँ .
 Anna Hazare अन्ना हजारे 
Quote 9:  I am worried what will happen to a country that is governed by some who are insensitive. But we can change them by Jan Shakti.
In Hindi: मैं  चिंतित  हूँ  कि  कुछ  असंवेदनशील  लोगों  द्वारा  शाशित  इस  देश   का  क्या  होगा . लेकिन  हम  उन्हें  जनशक्ति  द्वारा  बदल  सकते  हैं .
 Anna Hazare अन्ना हजारे 
Quote 10:  The government’s money is the people’s money. Make effective policies for the benefit of the people.
In Hindi: सरकार  का  पैसा  लोगो  का  पैसा  है . लोगों  के  भले  के  लिए  प्रभावी  नीतियां  बनाएं .
 Anna Hazare अन्ना हजारे 
Quote 11: We are ready to talk to the government but there is no communication from their side. Where should we go to talk and whom should we talk to.
In Hindi: हम  सरकार  के  साथ  काम  करने  को  तैयार  हैं  लेकिन  उनकी  तरफ  से  कोई  संवाद  नहीं  है .हम  बात  करने  कहाँ  जाएं  और  हम  किससे  बात  करें ?
 Anna Hazare अन्ना हजारे 
Quote 12:  Is this democracy? All have come together to make money.I would consider myself lucky if I die for my society, the people of my country.
In Hindi:  क्या यह लोकतंत्र  है ?सभी एक साथ पैसा बनाने आये हैं.मैं खुद को सौभाग्यशाली समझूंगा अगर मैं अपने समाज , अपने देशवाशियों  के लिए मरता हूँ.
 Anna Hazare अन्ना हजारे 
Quote 13:  My demands will not change. You can cut off my head but not force me to bow down.
In Hindi: मेरी  मांगें  बदलेंगी  नहीं  . आप  मेरा  सर  काट  सकते  हैं  लेकिन  मुझे सर  झुकाने  के  लिए  मजबूर  नहीं  कर  सकते .
 Anna Hazare अन्ना हजारे 
Quote 14:  Those who live for themselves die, those who die for the society live.
In Hindi: जो  अपने  लिए  जीते  हैं  वो  मर  जाते  हैं , जो  समाज  के  लिए  मरते  हैं  वो  जिंदा रहते  हैं .
 Anna Hazare अन्ना हजारे 
Quote 15:  The country did not get actual freedom even after 64 years of independence and the only change was that the whites have been replaced by the blacks. (MensXP.com)
In Hindi: देश  को  वास्तविक  स्वतंत्रता आज़ादी  के  64 साल  बाद  भी  नहीं  मिली  और  केवल  एक  बदलाव  आया  गोरों  की  जगह  काले  आ   गए .
 Anna Hazare अन्ना हजारे 
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रविवार, 11 नवंबर 2012

तीन कहानियाँ- जो बदल सकती हैं आपकी ज़िन्दगी !

पढ़िए iPod और iPhone बनाने वाली कंपनी Apple के founder Steve Jobs के जीवन की तीन कहानिया जो  बदल सकती हैं आपकी भी ज़िन्दगी.

Steve Jobs
जब कभी दुनिया के सबसे प्रभावशाली entrepreneurs का नाम लिया जाता है तो उसमे कोई और नाम हो न हो ,एक नाम ज़रूर आता है. और वो नाम है STEVE JOBS (स्टीव जोब्स) का. APPLE Company के co-founder इस अमेरिकी को दुनिया सिर्फ एक successful entrepreneur , inventor और businessman के रूप में ही नहीं जानती है बल्कि उन्हें world के अग्रणी motivators और speakers  में भी गिना जाता है. और आज आपके साथ good quality Hindi articles share करने की अपनी commitment को पूरा करते हुए हम AchhiKhabr.Com पर आपके साथ  Steve Jobs की अब तक की one of the best speech “Stay Hungry Stay Foolish” Hindi में share कर रहे हैं. यह speech उन्होंने Stanford  University के convocation ceremony (दीक्षांत समारोह) में 12 June 2005 को दी थी.
 यह Post थोड़ी लंबी  है. लगभग 2250 शब्दों की, इसलिए यदि आप चाहें तो AchhiKhabar.Com को Bookmark या Favourites में list कर लें . ताकि यदि आप एक बार में पूरी post  न पढ़ पायें तो आसानी से फिर इस पेज पर आ सकें. वैसे Google में AchhiKhabar.Com search  करने पर भी आप दुबारा इस Page  पर आ सकते हैं.
 तो चलिए पढते हैं – One of the best speech ever by Steve Jobs , translated in Hindi:

       STEVE JOBS CONVOCATION SPEECH AT STANFORD
“Stay Hungry Stay Foolish”

Thank You;  आज world की सबसे बहेतरीन Universities में से एक के दीक्षांत समारोह में शामिल होने पर मैं खुद को गौरवान्वित महसूस  कर रहा हूँ. मैं आपको एक सच बता दूं ; मैं कभी किसी college से pass  नहीं हुआ; और आज पहली बार मैंकिसी college graduation ceremony के इतना करीब पहुंचा हूँ. आज मैं आपको अपने जीवन की तीन कहानिया सुनाना  चाहूँगा… ज्यादा कुछ नहीं बस तीन कहानिया.
मेरी पहली कहानी , dots connect करने के बारे में है. Reed College में दाखिला लेने के 6 महीने के अंदर ही मैंने पढाई छोड़ दी, पर मैं उसके 18 महीने बाद तक वहाँ किसी तरह आता-जाता रहा. तो सवाल उठता है कि मैंने college क्यों छोड़ा? ….Actually, इसकी शुरुआत मेरे  जन्म से पहले की है.
 मेरी biological mother*  एक young , अविवाहित  graduate student थी, और वह मुझे किसी और को adoption के लिए देना चाहती थी. पर उनकी एक ख्वाईश थी की कोई college graduate ही मुझे adopt करे. सबकुछ बिलकुल set था और मैं एक वकील और उसकी wife  के द्वारा adopt किया जाने वाला था कि अचानक उस couple  ने अपना विचार बदल दिया और decide किया कि उन्हें एक लड़की चाहिए. इसलिए तब आधी-रात को मेरे parents, जो तब waiting list में थे,को call  करके बोला गया कि , “हमारे पास एक baby-boy है, क्या आप उसे गोद लेना चाहेंगे?” और उन्होंने झट से हाँ कर दी. बाद में मेरी biological mother  को पता चला कि मेरी माँ college pass नहीं हैं और पिता तो High School  पास भी नहीं हैं. इसलिए उन्होंने Adoption Papers sign करने से मना कर दिया; पर कुछ महीनो बाद मेरे होने वाले parents के मुझे college भेजने के आश्वाशनके बाद वो मान गयीं. तो मेरी जिंदगी कि शुरुआत कुछ इस तरह हुई और सत्रह साल बाद मैं college गया..पर गलती से मैंने Stanford जितना ही महंगा college चुन लिया. मेरे working-class parents  की सारी जमा-पूँजी मेरी पढाई में जाने लगी. 6 महीने बाद मुझे इस पढाई में कोई value नहीं दिखी.मुझे कुछ idea नहीं था कि मैं अपनी जिंदगी में क्या करना चाहता हूँ, और college मुझे किस तरह से इसमें help करेगा..और ऊपर से मैं अपनी parents की जीवन भर कि कमाई खर्च करता जा रहा था. इसलिए मैंने कॉलेज drop-out करने का निर्णय लिए…और सोचा जो होगा अच्छा होगा. उस समय तो यह सब-कुछ मेरे लिए काफी डरावना था पर जब मैं पीछे मुड़ कर देखता हूँ तो मुझे लगता है ये मेरी जिंदगी का सबसे अच्छा decision था.
जैसे ही मैंने college छोड़ा मेरे ऊपर से ज़रूरी classes  करने की बाध्यता खत्म हो गयी . और मैं चुप-चाप सिर्फ अपने interest की classes करने लगा. ये सब कुछ इतना आसान नहीं था. मेरे पास रहने के लिए कोई room नहीं था , इसलिए मुझे दोस्तों के room में फर्श पे सोना पड़ता था.मैं coke  की bottle को लौटाने से मिलने वाले पैसों से खाना खता था.,मैं हर Sunday  7 मील पैदल चल कर Hare Krishna Temple  जाता था ,ताकि कम से कम हफ्ते में एक दिन पेट भर कर खाना खा सकूं. यह मुझे काफी अच्छा लगता था.
.मैंने अपनी life में जो भी अपनी curiosity और intuition की वजह से किया वह बाद में मेरे लिए priceless साबित हुआ. Let me give an example. उस समय Reed College  शायद दुनिया की सबसे अच्छी जगह थी जहाँ Calligraphy* सिखाई जाती थी. पूरे campus में हर एक poster , हर एक label  बड़ी खूबसूरती से हांथों से calligraph  किया होता था .चूँकि मैं college से drop-out कर चुका था इसलिए मुझे normal classes करने की कोई ज़रूरत नहीं थी. मैंने तय किया की मैं calligraphy की classes करूँगा और इसे अछ्छी तरह से सीखूंगा. मैंने serif और sans-serif type-faces के बारे में  सीखा.; अलग-अलग letter-combination के बीच में space vary करना और किसी अच्छी  typography को क्या चीज अच्छा बनाती है , यह भी सीखा . यह खूबसूरत था, इतना artistic था कि इसे science द्वारा capture  नहीं किया जा सकता था, और ये मुझे बेहद अच्छा लगता था. उस समय ज़रा सी भी उम्मीद नहीं थी कि मैं इन चीजों का use कभी अपनी life में करूँगा. लेकिन जब दस साल बाद हम पहला Macintosh Computer बना रहे थे तब मैंने इसे Mac में design कर दिया. और Mac  खूबसूरत typography युक्त दुनिया का पहला computer बन गया.अगर मैंने college से drop-out नहीं किया होता तो Mac मैं कभी multiple-typefaces या  proportionally spaced fonts नहीं होते , और चूँकि Windows ने Mac की copy  की थी तो शायद ये  किसी भी personal computer में ये चीजें नहीं होतीं. अगर मैंने कभी drop-out ही नहीं किया होता तो मैं कभी calligraphy की  वो classes  नहीं कर पाता और फिर शायद personal computers में जो fonts होते हैं , वो होते ही नहीं.
Of course,  जब मैं college में था तब भविष्य में देख कर इन dots  को connect करना  impossible था; लेकिन दस साल बाद जब मैं पीछे मुड़  कर देखता हूँ तो सब कुछ बिलकुल साफ़ नज़र आता है. आप कभी भी future  में झांक कर dots connect नहीं कर सकते हैं. आप सिर्फ past देखकर ही dots connect कर सकते हैं; इसलिए आपको यकीन करना होगा की अभी जो हो रहा है वह आगे चल कर किसी न किसी तरह आपके future से connect हो जायेगा. आपको किसी न किसी चीज में विश्ववास करना ही होगा —अपने guts में, अपनी destiny में, अपनी जिंदगी या फिर अपने कर्म में…किसी न किसी चीज मैं विश्वास करना ही होगा…क्योंकि इस बात में believe करना की आगे चल कर dots connect होंगे आपको अपने दिल की आवाज़ सुनने की हिम्मत देगा…तब भी जब आप बिलकुल अलग रास्ते पर चल रहे होंगे…and that will make the difference.
मेरी दूसरी कहानी , love और loss  के बारे में है. मैं जिस चीज को चाहता था वह मुझे जल्दी ही मिल गयी. Woz और मैंने अपने parents के गराज से  Apple  शरू की तब मैं 20 साल का था. हमने बहुत मेहनत की और 10 साल में Apple दो लोगों से बढ़ कर $2 Billion  और 4000 लोगों की company हो गयी. हमने अभी एक साल पहले ही अपनी finest creation Macintosh release की , मैं तीस का हो गया था और मुझे company से fire  कर दिया गया.

Young Steve Jobs
आप अपनी बनायीं हुई company से fire कैसे हो सकते हैं ? Well, जैसे-जैसे company grow की, हमने एक ऐसे talented आदमी को hire किया ,जिसे मैंने सोचा कि वो मेरे साथ company run करेगा , पहले एक साल सब-कुछ ठीक-ठाक चला…. लेकिन फिर company के future vision  को लेके हम दोनों में मतभेद होने लगे. बात Board Of Directors तक पहुँच गयी, और उन लोगों ने उसका साथ दिया,so at thirty , मुझे निकाल दिया गया…publicly निकाल दिया गया. जो मेरी पूरी adult life का focus था वह अब खत्म हो चुका था, और ये बिलकुल ही तबाह करने वाला था. मुझे सचमुच अगले कुछ महीनो तक समझ ही नहीं आया कि मैं क्या करूं.
मुझे महसूस हुआ कि ये सबकुछ इतनी आसानी से accept  करके मैंने अपने पहले कि generation के entrepreneurs को नीचा दिखाया है. मैं David Packard* और Bob Noyce* से मिला और उनसे सबकुछ ऐसे हो जाने पर माफ़ी मांगी. मैं एक बहुत बड़ा public failure था, एक बार तो मैंने valley* छोड़ कर जाने की भी सोची.पर धीरे – धीरे मुझे अहसास हुआ की मैं जो काम करता हूं, उसके लिए मैं अभी भी  passionate हूँ. Apple में जो कुछ हुआ उसकी वजह से मेरे passion में ज़रा भी कमी नहीं आई है….मुझे reject कर दिया गया है, पर मैं अभी भी अपने काम से प्यार करता हूँ. इसलिए मैंने एक बार फिर से शुरुआत करने की सोची. मैंने तब नहीं सोचा पर अब मुझे लगता है की Apple से fire किये जाने से अच्छी चीज मेरे साथ हो ही नहीं सकती थी. Successful होने का बोझ   अब beginner होने के हल्केपन में बदल चूका था , मैं एक बार फिर खुद को बहुत free महसूस कर रहा था…इस स्वछंदता की वज़ह से मैं अपनी life  की सबसे creative period  में जा पाया.
अगले पांच सालों में मैंने एक company … NeXT  और एक दूसरी कंपनी Pixar start की और इसी दौरान मेरी मुलाक़ात एक बहुत ही amazing lady  से हुई ,जो आगे चलकर मेरी wife बनी. Pixar ने दुनिया की पहली computer animated movie , “ Toy Story”  बनायीं, और इस वक्त यह दुनिया का सबसे सफल animation studio है. Apple ने  एक अप्रत्याशित कदम उठाते हुए NeXT को खरीद लिया और मैं Apple में वापस चला गया. आज Apple, NeXT  द्वारा develop की गयी technology use करती है….अब Lorene और मेरा एक सुन्दर सा परिवार है. मैं बिलकुल surety के साथ कह सकता हूँ की अगर मुझे Apple से नहीं निकाला गया होता तो मेरे साथ ये सब-कुछ नहीं होता. ये एक कड़वी दवा थी …पर शायद patient को इसकी ज़रूरत थी.कभी-कभी जिंदगी आपको इसी तरह ठोकर मारती है. अपना विश्वाश मत खोइए. मैं यकीन के साथ कह सकता हूँ कि मैं सिर्फ इसलिए आगे बढ़ता गया क्योंकि मैं अपने काम से प्यार करता था…I loved my work.
आप really क्या करना पसंद करते हैं यह आपको जानना होगा, जितना अपने love को find करना ज़रूरी है, उतना ही उस काम को ढूँढना ज़रूरी जिसे आप सच-मुच enjoy करते हों आपका काम आपकी जिंदगी का एक बड़ा हिस्सा होगा, और truly-satisfied होने का एक ही तरीका है की आप वो करें जिसे आप सच-मुच एक बड़ा काम  समझते हों...और बड़ा काम करने का एक ही तरीका है की आप वो करें जो करना आप enjoy करते हों.यदि आपको अभी तक वो काम नहीं मिला है तो आप रूकिये मत..उसे खोजते रहिये. जैसा कि दिल से जुडी हर चीज में होता है…वो जब आपको मिलेगा तब आपको पता चल जायेगा…और जैसा की किसी अच्छी relationship में होता है वो समय के साथ-साथ और अच्छा होता जायेगा ….इसलिए खोजते रहिये…रूकिये मत.
मेरी तीसरी कहानी death  के बारे में है. जब मैं 17  साल का था तो मैंने एक quote पढ़ा , जो कुछ इस तरह था, “ यदि आप हर रोज ऐसे जियें जैसे की ये आपकी जिंदगी का आखीरी दिन है ..तो आप किसी न किसी दिन सही साबित हो जायेंगे.” इसने मेरे दिमाग पे एक  impression बना दी, और तबसे…पिछले 33  सालों से , मैंने  हर सुबह उठ कर शीशे में देखा है और खुद से एक सवाल किया है , “ अगर ये  मेरी जिंदगी का आखिरी दिन होता तो क्या मैं आज वो करता जो मैं करने वाला हूँ?” और जब भी लगातार कई दिनों तक जवाब “नहीं” होता है , मैं समझ जाता हूँ की कुछ बदलने की ज़रूरत है. इस बात को याद रखना की मैं बहत जल्द मर जाऊँगा मुझे अपनी life  के बड़े decisions लेने में सबसे ज्यादा मददगार होता है, क्योंकि जब एक बार death  के बारे में सोचता हूँ तब सारी expectations, सारा pride, fail होने का डर सब कुछ गायब हो जाता है और सिर्फ वही बचता है जो वाकई ज़रूरी है.इस बात को याद करना की एक दिन मरना है…किसी चीज को खोने के डर को दूर करने का सबसे अच्छा  तरीका है.आप पहले से ही नंगे हैं.ऐसा कोई reason नहीं है की आप अपने दिल की ना सुने.
 करीब एक साल पहले पता चला की मुझे cancer है . सुबह 7:30 बजे मेरा scan हुआ, जिसमे साफ़-साफ़ दिख रहा था की मेरे pancreas में tumor  है. मुझे तो पता भी नहीं था की pancreas क्या होता है. Doctor ने लग-भग यकीन के साथ बताया की मुझे एक ऐसा cancer है जिसका इलाज़ संभव नहीं है..और अब मैं बस 3 से 6 महीने का मेहमान हूँ. Doctor  ने सलाह दी की मैं घर जाऊं और अपनी सारी चीजें व्यवस्थित कर लूं, जिसका indirect मतलब होता है कि , “आप मरने की तैयरी कर लीजिए.”  इसका मतलब कि आप कोशिश करिये कि आप अपने बच्चों से जो बातें अगले दस साल में करते , वो अगले कुछ ही महीनों में कर लीजिए. इसका ये मतलब होता है कि आप सब-कुछ सुव्यवस्थित कर लीजिए की आपके बाद आपकी family को कम से कम परेशानी हो.इसका ये मतलब होता है की आप सबको गुड-बाय कर दीजिए.
मैंने इस diagnosis के साथ पूरा दिन बिता दिया फिर शाम को मेरी biopsy हुई जहाँ मेरे मेरे गले के रास्ते, पेट से होते हुए मेरी intestine में एक endoscope डाला गया और एक सुई से tumor से कुछ cells  निकाले गए. मैं तो बेहोश था , पर मेरी wife , जो वहाँ मौजूद थी उसने बताया की जब doctor ने microscope से मेरे cells देखे तो वह रो पड़ा…दरअसल cells देखकर doctor समझ गया की मुझे एक बहुत ही दुर्लभ प्रकार का  pancreatic cancer है जो surgery से ठीक हो सकता है. मेरी surgery हुई और सौभाग्य से अब मैं ठीक हूँ.
मौत के इतना करीब मैं इससे पहले कभी नहीं पहुंचा , और उम्मीद करता हूँ की अगले कुछ दशकों तक   पहुँचूं भी नहीं. ये सब देखने के बाद मैं ओर भी विश्वाश के साथ कह सकता हूँ की death एक useful but intellectual concept है.कोई मरना नहीं चाहता है, यहाँ तक की जो लोग स्वर्ग जाना चाहते हैं वो भी…फिर भी मौत वो मजिल है जिसे हम सब share  करते हैं.आज तक इससे कोई बचा नहीं है. और ऐसा ही होना चाहिए क्योंकि शायद मौत ही इस जिंदगी का सबसे बड़ा आविष्कार है .  ये जिंदगी को बदलती है, पुराने को हटा कर नए का रास्ता खोलती है. और इस समय नए आप हैं. पर ज्यादा नहीं… कुछ ही दिनों में आप भी पुराने हो जायेंगे और रस्ते से साफ़ हो जायेंगे. इतना dramatic होने के लिए माफ़ी चाहता हूँ पर ये सच है.आपका समय सीमित है, इसलिए इसे किसी और की जिंदगी जी कर व्यर्थ मत कीजिये. बेकार की सोच में मत फंसिए,अपनी जिंदगी को दूसरों के हिसाब से मत चलाइए. औरों के विचारों के शोर में अपनी अंदर की आवाज़ को, अपने intuition को मत डूबने दीजिए. वे पहले से ही जानते हैं की तुम सच में क्या बनना चाहते हो. बाकि सब गौड़ है.
जब मैं छोटा था तब एक अद्भुत publication, “The Whole Earth Catalogue”  हुआ करता था, जो मेरी generations की bibles में से एक था.इसे Stuart Brand नाम के एक व्यक्ति, जो यहाँ … MelonPark से ज्यादा दूर नहीं रहता था, और उसने इसे अपना poetic touch दे के बड़ा ही जीवंत बना दिया था. ये साठ के दशक की बात है, जब computer और desktop publishing  नहीं हुआ करती थीं., पूरा catalogue ..typewriters, scissors और  Polaroid cameras की मदद से बनाया जाता था. वो कुछ-कुछ ऐसा था मानो Google को एक book के form में कर दिया गया हो….वो भी गूगल के आने के 35 साल पहले.वह एक आदर्श था, अच्छे tools और महान विचारों से भरा हुआ था.
Stuart और उनकी team ने “The Whole Earth Catalogue”के कई issues  निकाले और अंत में एक final issue  निकाला. ये सत्तर के दशक का मध्य था और तब मैं आपके  जितना था. Final issue के back cover पे प्रातः काल का किसी गाँव की सड़क का द्दृश्य था…वो कुछ ऐसी सड़क थी जिसपे यदि आप adventurous हों तो किसी से lift माँगना चाहेंगे. और उस picture के नीचे लिखा था, Stay Hungry, Stay Foolish”..  ये उनका farewell message था जब उन्होंने sign-off  किया…,Stay Hungry, Stay Foolishऔर मैंने अपने लिए हमेशा यही wish किया है, और अब जब आप लोग यहाँ से graduate हो रहे हैं तो मैं आपके लिए भी यही wish करता हूँ , stay hungry, stay foolish. Thank you all very much.
The GREAT STEVE JOBS died on 5th Oct 2011 after a years-long battle with pancreatic cancer.Such great men are born once in century, and they have no where to go but to Heaven. 
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बुधवार, 7 नवंबर 2012

अब तक बने अमेरिकी राष्ट्रपति की सूची

वाशिगटन: अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव का परिणाम घोषित हो चुका है, और बराक हुसैन ओबामा ने अपने प्रतिद्वंद्वी मिट रोमनी को हरा कर दोबारा यह पद हासिल कर लिया है। बहरहाल, अमेरिकी राष्ट्रपतियों की सूची इस प्रकार है :

1. जॉर्ज वाशिंगटन (1789-1797)

2. जॉन एडम्स (1797-1801)

3. थॉमस जेफरसन (1801-1809)

4. जेम्स मेडिसन (1809-1817)

5. जेम्स मोनरो (1817-1825)

6. जॉन क्विंसी एडम्स (1825-1829)

7. एंड्रयू जैक्सन (1829-1837)

8. मार्टिन वैन बुरेन (1837-1841)

9. विलियम हेनरी हैरिसन (1841)

10. जॉन टेलर (1841-1845)

11.जेम्स नॉक्स पोक (1845-1849)

12 जेकरी टेलर (1849-1850)

13 मिलार्ड फिलमोर (1850-1853)

14. फ्रेंकलिन पियर्स (1853-1857)

15. जेम्स बुकानन (1857-1861)

16.अब्राहम लिंकन (18561-1865)

17. एंड्रयू जॉनसन (1865-1869)

18. यूलिसिस एस. ग्रांट (1869-1877)

19. रदरफोर्ड बर्चार्ड हायेस (1877-1881)

20. जेम्स अब्राहम गारफील्ड (1881)

21. चेस्टर एलन आर्थर (1881-1885)

22. ग्रोवर क्लीवलैंड (1885-1889)

23. बेंजामिन हैरिसन (1889-1893)

24. ग्रोवर क्लीवलांड (1893-1897)

25. विलियम मैक्किनली (1897-1901)

26. थियोडोर रूजवेल्ट (1901-1909)

27. विलियम हॉवर्ड टाफ्ट (1909-1913)

28. व्रूडो विल्सन (1913-1921)

29. वारेन गेमेलिएल हार्डिग (1921-1923)

30. केल्विन कूलिज (1923-1929)

31. हर्बर्ट क्लार्क हूवर (1929-1933)

32. फ्रैंकलिन डेलैनो रूजवेल्ट (1933-1945)

33. हैरी एस. ट्रमैन (1945-1953)

34. ड्वाइट डेविड आइजनहॉवर (1953-1961)

35. जॉन फिट्जगेराल्ड केनेडी (1961-1963)

36. लिंडन बेन्स जॉनसन (1963-1969)

37. रिचर्ड मिलहॉस निक्सन (1969-1974)

38. गेराल्ड रुडोल्फ फोर्ड (1974-1977)

39. जेम्स अर्ल कार्टर जूनियर (1977-1981)

40. रोनाल्ड विल्सन रीगन (1981-1989)

41. जार्ज हर्बर्ट वाकर बुश (1989-1993)

42. विलियम जेफरसन क्लिंटन (1993-2001)

43. जॉर्ज वाकर बुश (2001-2009)

44. बराक हुसैन ओबामा (2009 से अबतक) (एजेंसी)

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गुरुवार, 25 अक्तूबर 2012

रावण के जीवन की वो बातें जो अधिकतर लोग नहीं जानते....

 दशहरा पर्व राम की विजय और रावण की हार का दिन है। दस सिर और नाभि में अमृत कलश होने के बाद भी रावण पराजित हुआ। बुराई का प्रतीक माने जाने वाले रावण में कई बुरी आदतें थी, जो उसके लिए विनाश का कारण बनी। साथ ही कुछ ऐसे गुण भी थे जो उसे महान विद्वान बनाते थे।





रावण जितना दुष्ट था, उसमें उतनी खुबियां भी थीं, शायद इसीलिए कई बुराइयों के बाद भी रावण को महाविद्वान और प्रकांड पंडित माना जाता था। रावण से जुड़ी कई रोचक बातें हैं, जो आम कहानियों में सुनने को नहीं मिलती। विभिन्न ग्रंथों में रावण को लेकर कई बातें लिखी गई हैं। फिर भी रावण से जुड़ी कुछ रोचक बातें हैं, जो कई लोगों को अभी भी नहीं पता है।





आज हम जानते हैं कि किन बुराइयों के कारण रावण का पतन हुआ। किन अच्छाइयों के कारण उसे विद्वान माना जाता है।

महिलाओं के प्रति दुर्भावना - रावण के मन में महिलाओं के प्रति हमेशा दुर्भावना रही। वो उन्हें सिर्फ उपभोग की वस्तु मानता था। जिसके कारण उसे रंभा और सीता सहित कई महिलाओं के शाप भी लगे, जो उसके लिए विनाशकारी बने। भगवान महिलाओं का अपमान करने वालों को कभी माफ नहीं करता क्योंकि दुनिया में जो पहली पांच संतानें पैदा हुई थीं, उनमें से पहली तीन संतानें लड़कियां ही थीं। भगवान ने महिलाओं को पुरुषों से आगे रखा है। रावण अपनी शक्ति के अहंकार में ये बात समझ नहीं पाया।
सिर्फ तारीफ सुनना - रावण की दूसरी सबसे बड़ी कमजोरी यह थी कि उसे अपनी बुराई पसंद नहीं थीष गलती करने पर भी वह दूसरों के मुंह से अपने लिए सिर्फ तारीफ ही सुनना चाहता था। जिसने भी उसे उसकी गलतियां दिखाईं, उसने उन्हें अपने से दूर कर दिया, जैसे भाई विभीषण, नाना माल्यवंत, मंत्री शुक आदि। वो हमेशा चापलूसों से घिरा रहता था। 
शराब से दुर्गंध मिटाना - रावण शराब से बदबू भी मिटाना चाहता था। ताकि संसार में शराब का सेवन करके लोग अधर्म को बढ़ा सके।
स्वर्ग तक सीढ़ियां बनाना - भगवान की सत्ता को चुनौती देने के लिए रावण स्वर्ग तक सीढ़ियां बनाना चाहता था ताकि जो लोग मोक्ष या स्वर्ग पाने के लिए भगवान को पूजते हैं वे पूजा बंद कर रावण को ही भगवान माने। 
अपने बल पर अति विश्वास - रावण को अपनी शक्ति पर इतना भरोसा था कि वो बिना सोचे-समझे किसी को भी युद्ध के लिए ललकार देता था। जिससे कई बार उसे हार का मुंह देखना पड़ा। रावण युद्ध में भगवान शिव, सहस्त्रबाहु अर्जुन, बालि और राजा बलि से हारा। जिनसे रावण बिना सोचे समझे युद्ध करने पहुंच गया।
रथ में गधे होते थे - वाल्मीकि रामायण के मुताबिक सभी योद्धाओं के रथ में अच्छी नस्ल के घोड़े होते थे लेकिन रावण के रथ में गधे हुआ करते थे। वे बहुत तेजी से चलते थे। 
खून का रंग सफेद हो जाए - रावण चाहता था कि मानव रक्त का रंग लाल से सफेद हो जाए। जब रावण विश्वविजयी यात्रा पर निकला था तो उसने सैकड़ों युद्ध किए। करोड़ों लोगों का खून बहाया। सारी नदियां और सरोवर खून से लाल हो गए थे। प्रकृति का संतुलन बिगड़ने लगा था और सारे देवता इसके लिए रावण को दोषी मानते थे। तो उसने विचार किया कि रक्त का रंग लाल से सफेद हो जाए तो किसी को भी पता नहीं चलेगा कि उसने कितना रक्त बहाया है वो पानी में मिलकर पानी जैसा हो जाएगा।
काला रंग गोरा करना - रावण खुद काला था इसलिए वो चाहता था कि मानव प्रजाति में जितने भी लोगों का रंग काला है वे गौरे हो जाएं, जिससे कोई भी महिला उनका अपमान ना कर सके। 
संगीत और विद्वान - रावण संगीत का बहुत बड़ा जानकार था, सरस्वती के हाथ में जो वीणा है उसका अविष्कार भी रावण ने किया था। रावण ज्योतिषी तो था ही तंत्र, मंत्र और आयुर्वेद का भी विशेषज्ञ था।
सोने में सुगंध डालना - रावण चाहता था कि सोने (स्वर्ण) में खुश्बु होनी चाहिए। रावण दुनियाभर के स्वर्ण पर खुद कब्जा जमाना चाहता था। सोना खोजने में कोई परेशानी नहीं हो इसलिए वो उसमें सुगंध डालना चाहता था। 
समुद्र के पानी को मीठा बनाना - रावण सातों समुद्रों के पानी को मीठा बनाना चाहता था।
संसार से हरि पूजा को निर्मूल करना - रावण का इरादा था कि वो संसार से भगवान की पूजा की परंपरा को ही समाप्त कर दे ताकि फिर दुनिया में सिर्फ उसकी ही पूजा हो।
वीर योद्धा भी था रावण - रावण जब भी युद्ध करने निकलता तो खुद बहुत आगे चलता था और बाकी सेना पीछे होती थी। उसने कई युद्ध तो अकेले ही जीते थे। रावण ने यमपुरी जाकर यमराज को भी युद्ध में हरा दिया था और नर्क की सजा भुगत रही जीवात्माओं को मुक्त कराकर अपनी सेना में शामिल किया था। 
ऐसा था रावण का वैभव - रामचरितमानस में गोस्वामी तुलसीदास लिखते हैं कि रावण के दरबार में सारे देवता और दिग्पाल हाथ जोड़कर खड़े रहते थे। रावण के महल में जो अशोक वाटिका थी उसमें अशोक के एक लाख से ज्यादा वृक्ष थे। इस वाटिका में सिवाय रावण के किसी अन्य पुरुष को जाने की अनुमति नहीं थी।
कैसे-कैसे हारा रावण - बालि ने रावण को अपनी बाजू में दबा कर चार समुद्रों की परिक्रमा की थी। बालि इतना ताकतवर था कि वो रोज सवेरे चार समुद्रों की परिक्रमा कर सूर्य को अर्घ्य देता था। रावण जब पाताल के राजा बलि से युद्ध करने पहुंचा तो बलि के महल में खेल रहे बच्चों ने ही उसे पकड़कर अस्तबल में घोड़ों के साथ बांध दिया था। सहस्त्रबाहु अर्जुन ने अपनी हजार हाथों से नर्मदा के बहाव को रोक कर पानी इकट्ठा किया और उस पानी में रावण को सेना सहित बहा दिया। बाद में जब रावण युद्ध करने पहुंचा तो सहस्र्बाहु ने उसे बंदी बनाकर जेल में डाल दिया। रावण ने शिव से युद्ध में हारकर उन्हें अपना गुरु बनाया था। 

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मंगलवार, 16 अक्तूबर 2012





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हक और हिम्मत की प्रतीक बनी ‘मलाला यूसुफजई’



तालिबान के खिलाफ आवाज उठाकर 14वर्षीय पाकिस्‍तानी बालिका मलाला यूसुफजई आज हक और हिम्मित की मिसाल बन गई है। लड़कियों की शिक्षा और महिलाओं के अधिकार के लिए आवाज उठाकर शांति कार्यकर्ता मलाला ने सिर्फ दहशतगर्दों के खिलाफ बड़ी आवाज बनी बल्कि उसके प्रयासों ने अंधियारे के बीच उम्मीद की एक किरण जगा दी है। यही नहीं, उसकी बहादुरी ने पाकिस्तान समेत पूरी दुनिया को आतंकवाद के खतरे के खिलाफ नए सिरे से एकजुट होने की प्रेरणा दी है।

बीते दिनों तालिबानियों ने मलाला के सिर में गोली मारकर उसकी जान लेने की कोशिश की। उसकी सलामती के लिए दुनिया भर में करोड़ों हाथ दुआ में उठने लगे हैं। इस जघन्य घटना से तालिबानियों की बरबस खींझ का पता चलता है, जो जाहिर तौर पर लड़कियों और महिलाओं में शिक्षा और शांति की अलख नहीं जलने देना चाहते।

तालिबानियों के इस जघन्य कारनामे की घोर निंदा दुनिया भर में हो रही है। दरकार है इससे सबक लेने और इसके खिलाफ उठ खड़े होने की। जिसकी बानगी बीते कुछ दिनों के भीतर पाकिस्तान की सड़कों पर भी दिखी है। महिलाएं, बच्चे, छात्राएं, बुजुर्ग सभी मलाला के समर्थन में उतर गए और तालिबान के खिलाफ आवाज बुलंद करने लगे। यूं कहें कि हमले की इस घटना ने एक ‘क्रांति’ को जन्म दे दिया है, जो आने वाले समय में न सिर्फ पाकिस्तानी समाज बल्कि अन्य मुल्कों में भी एक नजीर बनेगी।

आज पाकिस्तान में स्कूली लड़कियां सड़कों पर उतरकर ‘मैं मलाला हूं’ के नारे लगा रही हैं। वहीं, मुंबई में भी मलाला के समर्थन में छात्राएं सड़क पर उतर गईं। विदेशों में भी मलाला के समर्थन में आवाजें बुलंद होने लगी हैं। ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री गोर्डन ब्राउन ने तो दुनिया भर के लोगों से अपील की कि हर किसी को मलाला को अपनी बेटी समझना चाहिए।

मासूम मलाला ने कम उम्र में ही शिक्षा की ऐसी अलख जगाई कि आज हर पाकिस्तानी के दिलों में रच बस गई है। कभी किसी ने कल्‍पना नहीं की होगी कि इतनी कम उम्र में कोई बच्ची शिक्षा के प्रति इतनी संजीदा होगी। छोटे स्तर पर ही सही, पर वह अपने मुहिम में इस कदर जुटी है कि समाज और आसपास की कोई भी लड़की शिक्षा से अछूती न रहे। वह इसमें कामयाब भी हो रही थी, पर दहशतगर्दों को यह बात नागवार गुजरी। पर इसके उलट न सिर्फ पाकिस्तान और इस्ला‍मी समाज बल्कि दुनिया भर के सामने इस मासूल बाला ने एक दुर्लभ उदाहरण पेश किया।

मलाला के समर्थन में सोशल साइटों पर दुनिया भर में लाखों लोग समर्थन में उतर आए हैं। हालांकि पाकिस्तान में ऐसे बहुत से लोग हैं जो रोज तालिबान और उसके जुल्मों के खिलाफ लड़ रहे हैं। लेकिन मलाला की इस ‘पाक’ मुहिम ने अब दुनिया को तालिबान के खिलाफ लड़ाई छेड़ने का मार्ग प्रशस्त कर दिया है।

संभवत: इसी का असर है कि मलाला के साथ तालिबान के हमले में घायल हुई लड़कियां शाजिया और कायनात ने आगे भी पढ़ाई जारी रखने का संकल्प लिया है। इन हमलों से घबराए बिना वह दोनों डाक्ट़र बनने के फैसले पर अडिग है और आगे हर कठिनाइयों के बावजूद शिक्षा जारी रख एक अभूतपूर्व संदेश देने को तैयार है। इन्हीं संकल्पों का असर है कि आज विदेशों से भी उनके लिए मदद की पेशकश होने लगी है। वहीं, घायल लड़कियों की मदद के लिए पाक सरकार का आगे आना एक सकारात्मक कदम है। इससे न सिर्फ जुल्म की शिकार लड़कियां बल्कि अन्य भी अपनी जिंदगी की बेहतरी के लिए कदम उठाने से नहीं हिचकेंगी क्योंकि इन कदमों से उनमें साहस का संचार होगा। पाक के हुक्मरानों का इनके समर्थन में उतरना भी काफी प्रशंसनीय है।

वहीं, तहरीक-ए-तालिबान का यह कहना कि मलाला पर हमला इसलिए किया गया क्योंकि वह ‘पश्चिमी’ विचारों और धर्म निरपेक्ष सरकार का समर्थन कर रही थी। पर इन तालिबानियों को कौन समझाए कि शिक्षा की ज्योति जगाने से पश्चिम के किन्‍हीं विचारों का समर्थन नहीं होता। मौजूदा हालात में यदि मलाला पर फिर हमला करने का दुस्साहस किया जाता है तो इसके गंभीर परिणाम सामने आएंगे।

दूसरी तरफ, किशोरी मलाला की हत्या के प्रयास को ‘गैर इस्लामी’ करार देना और सुन्नी मौलवियों का फतवा जारी करना यह दर्शाता है कि पाक के समाज में परिवर्तन की बयार बहने लगी है और वे जुल्मों के खिलाफ अब आवाज बुलंद करने लगे हैं। संभवत: यह पाकिस्तान के इतिहास में पहली बार है कि धर्म गुरुओं ने किसी बालिका के हक में फतवा जारी कर ‘निन्दा दिवस’ मनाया और मलाला के प्रति एकजुटता दिखाई।

हालांकि मलाला के कई गुनहगार हत्थेा तो चढ़े हैं, लेकिन इन्हें यदि कठोर दंड नहीं दिया गया तो मलाला जैसी और कई मासूमों को भी ये निशाना बनाने से बाज नहीं आएंगे। मलाला पर हमले की घटना ने लोगों को तालिबान के खिलाफ खड़े होने के लिए प्रेरित किया है, जोकि एक सकारात्‍मक पहल है। बीते समय में पाकिस्तान में यह देखा गया है कि तालिबान जब भी इस तरह के घृणित अपराधों को अंजाम देता है तो उनके खिलाफ कस्बों तक में भावनाएं भड़कती हैं।

गम और गुस्से के माहौल के बीच इस तरह की क्रूर मानसिकता के समर्थक लोगों के खिलाफ पूर्ण लड़ाई की सख्त जरूरत है। इसे पूरी तरह कुचलना ही एकमात्र निदान है। हम सभी मलाला के अद्वितीय साहस को सलाम करते हैं।

http://zeenews.india.com/hindi/news/%E0%A4%9C%E0%A4%BC%E0%A5%80-%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%AA%E0%A5%87%E0%A4%B6%E0%A4%B2/%E0%A4%B9%E0%A4%95-%E0%A4%94%E0%A4%B0-%E0%A4%B9%E0%A4%BF%E0%A4%AE%E0%A5%8D%E0%A4%AE%E0%A4%A4-%E0%A4%95%E0%A5%80-%E0%A4%AE%E0%A4%BF%E0%A4%B8%E0%A4%BE%E0%A4%B2-%E0%A4%AE%E0%A4%B2%E0%A4%BE%E0%A4%B2%E0%A4%BE/150426
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रविवार, 19 अगस्त 2012

एक था टाइगर : एक्शन के साथ रोमांचक थ्रिलर


एक था टाइगर : एक्शन के साथ रोमांचक थ्रिलर



 Entertainment ek tha tiger फिल्म समीक्षा
निर्माता : आदित्य चोपडा
निर्देशक : कबीर खान
कलाकार : सलमान खान, कैटरीना कैफ, रणवीर शौरी, गिरीश कर्नाड


अपेक्षाओं से बढकर एक था टाइगर ने ओपनिंग ली है। इस फिल्म के प्रति दर्शकों में किस कदर उत्साह है उसका नजारा सिनेमा घरों पर टूटी भीड को देखकर लगाया जा सकता है। सलमान खान की इस फिल्म ने पहले दिन ऑपनिंग में करीब 30 करोड का व्यवसाय कर एक नया रिकॉर्ड स्थापित किया है। इसमें टिकट वृद्धि का भी भारी सहयोग रहेगा। कबीर खान ने जिस अंदाज में सलमान खान की फिल्म में एंट्री करवाई है, वह बेमिसाल है। इस दृश्य को देखते ही इस बात का अहसास हो जाता है कि दर्शकों को जबरदस्त एक्शन थ्रिलर देखने को मिलेगा।
सलमान खान ने फिल्म में रॉ के जासूस "टाइगर" की भूमिका निभाई है, जिसे एक वैज्ञानिक पर नजर रखने के लिए भेजा जाता है। टाइगर अपने मिशन को सफल बनाने के लिए वैज्ञानिक के घर में नौकरानी का काम करने वाली जोया से इश्क-मोहब्बत का नाटक करते-करते सच में चाहने लगता है लेकिन जब उसे उसकी असलियत पता चलती है तो उसके पैरों तले जमीन खिसक जाती है। आदित्य चोपडा के लिए काबुल एक्सप्रेस और न्यूयार्क जैसी बेहतरीन फिल्में बना चुके निर्देशक कबीर खान की यह इस बैनर के लिए तीसरी फिल्म है। सलमान खान ने कबीर खान की फिल्मों के कुछ दृश्य देखने के बाद ही काम करने की हामी भर दी थी।

कबीर खान ने जहां अपने निर्देशन में कसावट रखी है वहीं उन्होंने कथानक में कोई भी पेच ढीला नहीं छोडा, जिसकी वजह से दर्शक एकटक होकर फिल्म को देखता है। उनकी इस सफलता में एक्शन का भारी सहयोग रहा है। हिन्दी फिल्मों में हॉलीवुड स्तर का एक्शन बहुत कम नजर आता है, लेकिन यहाँ कबीर खान ने पूरी तरह से जेम्स बॉण्ड स्टाइल का एक्शन दर्शकों को दिखाया है। क्यूबा और ईराक में फिल्माए गए दृश्यों को देखकर जेम्स बॉण्ड की कई फिल्मों की याद ताजा हो जाती है।

पहली बार सलमान खान अपनी टपोरी और बेदिमागी कॉमेडी से बाहर आए हैं। जैसे ही परदे से एक्शन हटता है सलमान खान और कैटरीना कैफ की साफ-सुथरी हास्य स्थिति परदे पर देखकर दर्शक हंसने लगता है। पांच साल के लम्बे इंतजार के बाद सलमान और कैटरीना की जोडी परदे पर नजर आयी है। इन दोनों की लव स्टोरी और केमिस्ट्री में दम है। जब एक्शन नहीं होता, तो सलमान और कैटरीना अपनी कॉमिक टाइमिंग, रोमांस और इमोशनल सीन्स से दिल बहलाते हैं। टाइगर अपने दोस्त से कहता है कि मेरे इतने नाम हैं कि मां-बाप ने क्या नाम रखा था, वह भी भूल गया। वैसे भी टाइगर तो कुत्तों का नाम होता है।

कबीर खान ने अपने निर्माता की छवि को आकाश से टूटते हुए तारे के दृश्य में दर्शाया है। यशराज की हर फिल्म में नायक-नायिका आकाश से टूटते हुए तारे को देखते हैं और यहां भीर यही दृश्य फिल्माया गया है। इसके साथ ही कबीर खान ने न चाहते हुए दर्शकों की मांग को ध्यान में रखते हुए सलमान खान से शर्ट उतरवाई है, वैसे फिल्म में इस दृश्य को कतई आवश्यकता नहीं थी। निर्देशकों की नजर में यह भ्रम बैठा हुआ है कि जिस फिल्म में सलमान शर्ट उतार देते हैं वह बॉक्स ऑफिस पर हिट हो जाती है। सलमान, कैटरीना और कबीर खान के बाद इस फिल्म का छायांकन, संगीत (विशेष रूप से पाश्र्व संगीत), विदेशी लोकेशन्स और बेहतरीन और ताजा डांस स्टेप्स फिल्म को दर्शनीय बनाते हैं। एक्शन दृश्यों में गूंजता पाश्र्व संगीत दृश्यों के प्रभावीकरण में सहायक है।

गिरीश कनार्ड और रणवीर शौरी ने अपने अभिनय की गहरी छाप छोडी है। सब कुछ होते हुए भी कबीर खान मध्यान्तर के बाद कहानी पर कम और एक्शन पर ज्यादा निर्भर रहे हैं। ऎसा नहीं कि कथानक कमजोर पड जाता है या उसकी आवश्यकता नहीं रहती है लेकिन इस हिस्से में उन्होंने सलमान के एक्शन पर ज्यादा निर्भरता जताई है। सलमान ने उन्हें कहीं निराश नहीं किया है। हॉलीवुड स्टाइल में फिल्माया गया यह देसी बांड दर्शकों को रोमांचित करने के साथ-साथ हैरान भी करता है। इस फिल्म को देखने के बाद एक बात हम जरूर कहना चाहेंगे कि एक था टाइगर सलमान खान की लोकप्रियता का शिखर बिन्दु है। इस देखने के बाद दिमाग में एक प्रश्न कौंधता है कि अब सलमान खान अपने दर्शकों के लिए नया क्या लेकर आएंगे, क्योंकि पिछले पांच वर्ष में उन्होंने अपनी पांच फिल्मों के जरिए अभिनय की हर विद्या को दर्शा दिया है। इस फिल्म की सफलता के बाद निश्चित तौर पर दिसम्बर पर प्रदर्शित होने वाली दबंग की सफलता पर प्रश्न चिह्न खडा होता है। अगर अरबाज कुछ नया नहीं दे पाए तो निश्चित रूप से उन्हें झटका लगेगा।

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सोमवार, 23 जुलाई 2012

BBC says about Taj Mahal—Hidden Truth – Never say it is a Tomb



Aerial view of the Taj Mahal.
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The interior water well
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Frontal view of the Taj Mahal and dome
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Close up of the dome with pinnacle
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Close up of the pinnacle
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Inlaid pinnacle pattern in courtyard
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Red lotus at apex of the entrance
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Rear view of the Taj & 22 apartments
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View of sealed doors & windows in back
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Typical Vedic style corridors
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The Music House–a contradiction
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A locked room on upper floor
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A marble apartment on ground floor
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The OM in the flowers on the walls
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Staircase that leads to the lower levels
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300 foot long corridor inside apartments
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One of the 22 rooms in the secret lower level
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Interior of one of the 22 secret rooms
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Interior of another of the locked rooms
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Vedic design on ceiling of a locked room
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Huge ventilator sealed shut with bricks
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Secret walled door that leads to other rooms
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Secret bricked door that hides more evidence
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Palace in Barhanpur where Mumtaz died
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Pavilion where Mumtaz is said to be buried
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NOW READ THIS…….
No one has ever challenged it except Prof. P. N. Oak, who believes the whole world has been duped. In his book Taj Mahal: The True Story, Oak says the Taj Mahal is not Queen Mumtaz’s tomb but an ancient Hindu temple palace of Lord Shiva (then known as Tejo Mahalaya ) . In the course of his research Oak discovered that the Shiva temple palace was usurped by Shah Jahan from then Maharaja of Jaipur, Jai Singh. In his own court ch ronicle, Badshahnama,Shah Jahan admits that an exceptionally beautiful grand mansion in Agra was taken from Jai SIngh for Mumtaz’s burial . The ex-Maharaja of Jaipur still retains in his secret collection two orders from Shah Jahan for surrendering the Taj building. Using captured temples and mansions, as a burial place for dead courtiers and royalty was a common practice among Muslim rulers.
For example, Humayun,Akbar, Etmud-ud-Daula and Safdarjung are all buried in such mansions. Oak’s inquiries began with the name of Taj Mahal. He says the term ” Mahal ” has never been used for a building in any Muslim countries from Afghanisthan to Algeria .. “The unusual explanation that the term TajMahal derives from Mumtaz Mahal was illogical in atleast two respects.
Firstly, her name was never Mumtaz Mahal but Mumtaz-ul-Zamani,” he writes. Secondly, one cannot omit the first three letters ‘Mum’ from a woman’s name to derive the remainder as the name for the building.”Taj Mahal, he claims, is a corrupt version of Tejo Mahalaya, or Lord Shiva’s Palace . Oak also says the love story of Mumtaz and Shah Jahan is a fairy tale created by court sycophants, blundering historians and sloppy archaeologists Not a single royal chronicle of Shah Jahan’s time corroborates the love story.
Furthermore, Oak cites several documents suggesting the Taj Mahal predates Shah Jahan’s era, and was a temple dedicated to Shiva, worshipped by Rajputs of Agra city. For example, Prof. Marvin Miller of New York took a few samples from the riverside doorway of the Taj. Carbon dating tests revealed that the door was 300 years older than Shah Jahan. European traveler Johan Albert Mandelslo,who visited Agra in 1638 (only seven years after Mumtaz’s death), describes the life of the cit y in his memoirs. But he makes no reference to the Taj Mahal being built. The writings of Peter Mundy, an
English visitor to Agra within a year of Mumtaz’s death, also suggest the Taj was a noteworthy building well before Shah Jahan’s time.
Prof. Oak points out a number of design and architectural inconsistencies that support the belief of the Taj Mahal being a typical Hindu temple rather than a mausoleum. Many rooms in the Taj ! Mahal have remained sealed
since Shah Jahan’s time and are still inaccessible to the public . Oak asserts they contain a headless statue of Lord Shiva and other objects commonly used for worship rituals in Hindu temples Fearing political backlash, Indira Gandhi’s government t ried to have Prof. Oak’s book withdrawn from the bookstores, and threatened the Indian publisher of the
first edition dire consequences . There is only one way to discredit or validate Oak’s research.
Open all sealed rooms in front of media. Let experts investigate.
Source :: One forwarded email.
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शुक्रवार, 20 जुलाई 2012


गुरुवार, 19 जुलाई 2012

जीमेल में खोज सम्बन्धी उपयोगी टिप्स

गूगल की ईमेल सेवा जीमेल एक बेहतरीन वेबमेल सेवा है। इसकी विशेषताओं में बेहतरीन सर्च सुविधा भी शामिल है। अधिकतर लोग इसकी खोज की शक्ति से अपरिचित हैं तथा केवल उसमें कोई शब्द डालकर ही खोजते हैं। वास्तव में कुछ विशिष्ट शब्दों (जिन्हें ‘क्वैरी वर्ड्स’ कहा जाता है) तथा उपयुक्त सिंटैक्स का प्रयोग करके इसमें कई तरह से खोजा जा सकता है। सही तरीका प्रयोग करके हजारों मेल में से वाँछित को चुटकी में खोजा जा सकता है।
जीमेल में सर्च बॉक्स होता है जिसमें नीचे बताये गये सिंटैक्स का प्रयोग करके आप वाँछित मेल खोज सकते हैं। सर्च काफी तेज होती है तथा तत्काल परिणाम मिलते हैं। यदि वाँछित मेल न मिले तो सर्च टर्म में से शब्द कम करके देखें।

किसी भी सर्च टर्म युक्त मेल खोजना

सबसे पहले तो सबसे सामान्य खोज। यदि कोई पुरानी मेल खोजनी हो जिसकी सामग्री का बस कुछ अंश याद हो तो बस सर्च बॉक्स में वह/वे शब्द डालकर खोजें। उदाहरण के लिये वे सभी सन्देश खोजने हेतु जिनमें ‘ब्लॉगर मीट’ शब्द आया हो,
ब्लॉगर मीट
यदि आपको वाँछित मेल के विषय की पंक्ति का कुछ अंश याद है तो जल्दी और ज्यादा सार्थक परिणाम मिलेगा। उदाहरण के लिये निम्नलिखित सिंटैक्स द्वारा वे सभी सन्देश खोजे जायेंगे जिनके विषय में ‘एयरपोर्ट’ शब्द रहा हो।
subject:एयरपोर्ट
यदि आपको कोई ऍग्जैक्ट वाक्यांश खोजना हो तो सर्च टर्म सन्दर्भ चिह्नों में दें। उदाहरण के लिये निम्निलिखित सिंटैक्स केवल वही सन्देश खोजेगा जिनमें वाक्यांश ‘कार में एसी’ बिलकुल उसी रूप में आया हो।
"कार में एसी"
यदि आप किन्हीं दो या अधिक शब्दों में से कोई एक शब्द युक्त सन्देश खोजना चाहते हैं तो OR ऑपरेटर या पाइप साइन (|) का प्रयोग करें। उदाहरण के लिये निम्नलिखित सिंटैक्स वे सब सन्देश खोजेगा जिनमें ‘राम’ या ‘श्याम’ शब्द आया हो। ध्यान दें कि OR कैपिटल लैटर्स में ही हो।
राम OR श्याम
यदि आपको ऐसे सन्देश खोजने हों जिनमें एक शब्द तो हो लेकिन दूसरा न हो तो हाइफन ऑपरेटर का प्रयोग करें। उदाहरण के लिये निम्नलिखित सिंटैक्स वो सन्देश दिखायेगा जिनमें ‘खेल’ शब्द तो आया हो लेकिन ‘क्रिकेट’ नहीं।
खेल -क्रिकेट
हाइफन ऑपरेटर का एक बढ़िया उपयोग सर्च परिणामों में से नोटिफिकेशन वाली ईमेल हटाने के लिये किया जा सकता है। उदाहरण के लिये कोई मेल खोजने हेतु जिसमें password शब्द था, पर वह मेल किसी वेबसेवा द्वारा भेजी गयी नोटिफिकेशन न हो।
password –notification
कई बार परिणामों में सर्च टर्म में से कुछ शब्दों को छोड़ दिया जाता है या वे काफी पीछे वाले परिणामों में आते हैं। () ऑपरेटर का प्रयोग किसी सर्च टर्म में शब्दों को अनिवार्य बनाने के लिये किया जाता है ताकि वे छोड़े न जायें। उदाहरण के लिये निम्नलिखित सिंटैक्स वो सन्देश दिखायेगा जिनमें राम और श्याम दोनों शब्द हों।
(राम श्याम)
() ऑपरेटर का प्रयोग शब्दों का समूह बनाने में भी किया जाता है। उदाहरण के लिये निम्नलिखित सिंटैक्स उन सन्देशों को खोजेगा जिनके विषय में आगामी पुस्तक या आगामी पत्रिका शब्द होगा।
subject:आगामी (पुस्तक OR पत्रिका)

किसी व्यक्ति द्वारा आपको भेजी गयी मेल

from ऑपरेटर के साथ उस व्यक्ति का ईमेल पता लिखें। उदाहरण के लिये, श्रीमान अमुक (जिनका ईमेल amuk@gmail.com है) द्वारा आपको भेजी गयी सभी ईमेल खोजने के लिये,
from:amuk@gmail.com
यदि भेजने वाला किसी ऐसे ईमेल समूह का सदस्य है जिसके सदस्य आप भी हैं तो परिणामों में उसके द्वारा समूह को भेजे गये सन्देश भी दिखायी देंगे। इसलिये ऐसे सन्देश खोजने के लिये जो श्रीमान अमुक द्वारा किसी समूह को न भेजकर सीधे आपको भेजे गये हों, निम्नलिखित प्रयोग करें।
from:amuk@gmail.com to:me
यदि व्यक्ति द्वारा भेजी गयी मेल में से कोई खास वाली खोजनी हो जिसके विषय या सामग्री का कुछ अंश ध्यान हो तो ईमेल पते के बाद एक स्पेस देकर सर्च टर्म लिखें। उदाहरण के लिये, श्रीमान अमुक द्वारा आपको भेजी गयी मेल खोजने हेतु जिसमें कश्मीर की यात्रा के बारे में कुछ बात की गयी थी,
from:amuk@gmail.com subject:कश्मीर (यदि विषय का अंश ध्यान है)
from:amuk@gmail.com कश्मीर (यदि सामग्री का अंश ध्यान है)

आपके द्वारा किसी व्यक्ति को भेजी गयी मेल

to ऑपरेटर के साथ उस व्यक्ति का ईमेल पता लिखें। उदाहरण के लिये आपके द्वारा श्रीमान अमुक को भेजी गयी सभी ईमेल देखने के लिये,
to:amuk@gmail.com
यदि आपके द्वारा भेजी गयी मेल में से कोई खास वाली खोजनी हो जिसके विषय या सामग्री का कुछ अंश ध्यान हो तो ईमेल पते के बाद एक स्पेस देकर सर्च टर्म लिखें। उदाहरण के लिये, आपके द्वारा श्रीमान अमुक को भेजी गयी मेल के लिये जिसमें फोन नं॰ तथा पते के बारे में कुछ बात की गयी हो, 
to:amuk@gmail.com subject:फोन पता(यदि विषय का अंश ध्यान है)
from:amuk@gmail.com फोन पता(यदि सामग्री का अंश ध्यान है)
यदि आपको वे मेल खोजनी हैं जिनमें आपने श्रीमान अमुक को  cc (कार्बन कॉपी) करके भेजा था तो,
cc:amuk@gmail.com
इसी प्रकार वे मेल खोजने के लिये जिनमें आपने श्रीमान अमुक को bcc (ब्लाइंड कार्बन कॉपी) करके भेजा था,
bcc:amuk@gmail.com

किसी समूह को भेजी गयी मेल

किसी ईमेल समूह (डाक सूची या मेलिंग लिस्ट) को भेजी गयी सभी ईमेल देखने के लिये list ऑपरेटर के साथ समूह का ईमेल पता लिखें। उदाहरण के लिये तकनीकी हिन्दी समूह की सभी मेल देखने के लिये,
list:technical-hindi@googlegroups.com
समूह को भेजी गयी मेल में से कोई विशेष ढूँढने के लिये ईमेल पते के बाद एक स्पेस देकर सर्च टर्म लिखें। उदाहरण के लिये आपके द्वारा तकनीकी हिन्दी समूह को भेजी गयी कोई ईमेल खोजनी है जिसमें हिन्दी वर्तनी जाँचक का जिक्र है तो,
list:technical-hindi@googlegroups.com subject:वर्तनी जाँचक(यदि विषय का अंश ध्यान है)
list:technical-hindi@googlegroups.com वर्तनी जाँचक(यदि सामग्री का अंश ध्यान है)
चूँकि समूह में कई लोग ईमेल भेजते हैं तो आप समूह के किसी सदस्य द्वारा समूह को भेजी गयी सभी ईमेल भी खोज सकते हैं। उदाहरण के लिये श्रीमान अमुक द्वारा तकनीकी हिन्दी समूह को भेजी गयी सभी ईमेल देखने के लिये,
list:technical-hindi@googlegroups.com from:amuk@gmail.com
माना आपको श्रीमान अमुक द्वारा समूह को भेजी गयी कोई पुरानी मेल खोजनी है जिसमें हिन्दी ओसीआर का जिक्र है तो,
to:technical-hindi@googlegroups.com from:amuk@gmail.com subject:हिन्दी ओसीआर (यदि विषय का अंश ध्यान है)
to:technical-hindi@googlegroups.com from:amuk@gmail.com हिन्दी ओसीआर (यदि सामग्री का अंश ध्यान है)


अटैचमेंट युक्त मेल

अटैचमेंट युक्त सभी सन्देश देखने के लिये निम्नलिखित सिंटैक्स प्रयोग करें।
has:attachment
माना आपको श्रीमान अमुक द्वारा भेजी गयी वे मेल खोजनी हैं जिनमें अटैचमेंट थे तो लिखें,
from:amuk@gmail.com has:attachment
यदि आपको अटैचमेंट में भेजी गयी फाइल का नाम याद है तो निम्नलिखित का प्रयोग कर सकते हैं। उदाहरण के लिये Amuk_Biodata.pdf नामक फाइल अटैचमेंट वाली मेल खोजने के लिये,
filename:Amuk_Biodata.pdf
यदि आपको फाइल का नाम याद नहीं केवल फाइल टाइप पता है तो बस वही लिखें। उदाहरण के लिये निम्नलिखित सिंटैक्स से वे सभी सन्देश खोजे जायेंगे जिनके साथ पीडीऍफ फाइल संलग्न हैं।
filename:pdf
कुछ परिस्थितियों में फाइलनेम ऑपरेटर के साथ OR ऑपरेटर उपयोगी हो सकता है। उदाहरण के लिये किसी भी प्रचलित डॉक्यूमेंट फॉर्मेट वाले अटैचमेंट युक्त सन्देशों को खोजने के लिये,
filename:(pdf OR doc OR xls OR ppt) OR docs.google.com OR spreadsheets.google.com

स्थान विशेष द्वारा खोज

in ऑपरेटर का प्रयोग करके हम जीमेल में किसी स्थान विशेष जैसे इनबॉक्स, ट्रैश आदि में खोज कर सकते हैं।
सामान्य रूप से जब आप कुछ खोजते हैं तो जीमेल Spam तथा Trash में नहीं खोजता। निम्नलिखित से हम जीमेल में स्पैम तथा ट्रैश समेत सभी जगह खोज कर सकते हैं। कई बार होता है कि कोई हमें कहता है कि उसने हमें एक मेल भेजी लेकिन हमें वह दिखती नहीं तो यह सुनिश्चित करने के लिये कि वह हमारे पास पहुँच ही गयी है, हम इसका प्रयोग कर सकते हैं।
in:anywhere
इनबॉक्स में खोजने के लिये,
in:inbox
भेजी गयी मेल में खोजने के लिये,
in:sent
ड्राफ्ट में खोजने के लिये,
in:draft
ट्रैश में देखने के लिये निम्नलिखित सिंटैक्स है। जैसा कि आप जानते होंगे कि किसी मेल को डिलीट करने पर वह ट्रैश में चली जाती है तथा कुछ निश्चित समय बाद ट्रैश को खाली कर दिया जाता है। माना हम देखना चाहते हैं कि वाँछित मेल गलती से डिलीट होकर ट्रैश में तो नहीं चली गयी तो यह प्रयोग करें।
in:trash
स्पैम में देखने के लिये निम्नलिखित सिंटैक्स है। माना किसी ने हमें मेल भेजी और हमारे इनबॉक्स में नहीं दिख रही तो हम चैक कर सकते हैं कि कहीं वह गलती से स्पैम में तो नहीं चली गयी।
in:spam
यदि आप जीमेल में लेबलों का प्रयोग करते हैं तो निम्नलिखित सिंटैक्स का प्रयोग करके लेबल विशेष वाली सभी मेल देखी जा सकती हैं। यदि आपको पता है कि वाँछित मेल किस लेबल में थी तो इससे जल्दी मिल जायेगी। इसके अतिरिक्त लेबल में खोज के लिये in ऑपरेटर का भी प्रयोग किया जा सकता है। उदाहरण के लिये official लेबल वाली सभी मेल देखने के लिये,
label:official

प्रकार विशेष द्वारा खोज

चैट सन्देशों को देखने के लिये निम्नलिखित सिंटैक्स प्रयोग करें।
is:chat
अब तक आप अनुमान लगा ही चुके होंगे कि श्रीमान अमुक के साथ कै चैट वार्तालापों को देखने के लिये मुझे क्या करना होगा।
is:chat from:amuk@gmail.com
सभी अपठित मेल को निम्नलिखित सिंटैक्स द्वारा देखा जा सकता है। माना आपके इनबॉक्स में बीच-बीच में कई अपठित ईमेल पड़ी हैं तो इससे वे सब इकट्ठे देखी जा सकती हैं।
is:unread
यदि आपको सभी पढ़ी गयी मेल में खोजना हो तो यह प्रयोग करें,
is:read
सभी तारांकित (स्टार) की गयी मेल में खोजना हो तो,
is:starred

समय विशेष द्वारा खोज
किसी समय विशेष के बाद के सन्देश खोजने हों तो निम्नलिखित सिंटैक्स प्रयोग करें। दिनांक का प्रारूप (फॉर्मेट) YYYY/MM/DD के रूप में हो। उदाहरण के लिये ५ अगस्त २०११ के बाद के सन्देश खोजने हेतु,
after:2011/08/05
किसी समय विशेष से पहले के सन्देश खोजने हों तो निम्नलिखित सिंटैक्स प्रयोग करें। उदाहरण के लिये १ फरवरी २०१२ से पहले के सन्देश खोजने हेतु,
before:2012/02/01
इन दोनों के संयुक्त प्रयोग से किसी काल विशेष के दौरान के सन्देश खोजे जा सकते हैं। उदाहरण के लिये फरवरी २०१२ से लेकर जुलाई २०१२ के बीच के सन्देश खोजने हेतु,
after:2012/02/01 before:2012/07/31

मिश्रित रूप से ऑपरेटरों का प्रयोग

कई बार हम जो सन्देश खोज रहे होते हैं उसके लिये हमें बहुत सारे परिणाम मिल सकते हैं। उनमें से उपयुक्त परिणाम तक पहुँचने के लिये हमें अपने खोज के दायरे को घटाना होगा। इसके लिये हम एकाधिक सर्च ऑपरेटर का प्रयोग कर सकते हैं। हम कुछ उदाहरण लेते हैं।
एक मेल खोजनी है जो श्रीमान अमुक द्वारा आपको भेजी गयी थी, उसमें अटैचमेंट थी (एक फोटो) तथा उसके विषय में ‘फोटो’ शब्द शामिल था, आपको यह भी सन्देह है कि वह शायद स्पैम या ट्रैश में चली गयी हो तो निम्नलिखित सिंटैक्स बनेगा।
from:amuk@gmail.com has:attachment subject:फोटो in:anywhere
अब हम खोजने जा रहे हैं श्रीमान अमुक द्वारा तकनीकी हिन्दी समूह को भेजी गयी मेल जिसे आप पढ़ चुके हैं, आपने उसे तारांकित किया था तथा उसमें ‘संस्कृत ओसीआर’ के बारे में कुछ कहा गया था।
list:technical-hindi@googlegroups.com from:amuk@gmail.com is:read is:starred "संस्कृत ओसीआर"

उन्नत सर्च बॉक्स

वैसे तो उपर्युक्त सभी सिंटैक्स काफी सरल हैं तथा एक-दो बार उपयोग से ही याद हो जायेंगे। फिर भी यदि आपको इन्हें याद रखना मुश्किल लगे तो जीमेल आपकी सहायता के लिये हाजिर है। सर्च बॉक्स की दायीं ओर एक छोटा ड्रॉप डाउन ऍरो होता है – Show Search Options

इसे क्लिक करने पर नीचे दिखाया गया उन्नत सर्च बॉक्स आ जाता है जिसमें अधिकतर उपयोगी उन्नत सर्च विकल्प मौजूद हैं।

इस प्रकार इसके उपयोग से विभिन्न खाने भरकर आप बिना सिंटैक्स याद रखे भी उन्नत खोज कर सकते हैं।
इसके अतिरिक्त यदि आप जीमेल में फिल्टरों का उपयोग करने की आदत डालें तो आप अपनी मेल को बेहतर तरीके से व्यवस्थित कर पायेंगे तथा कोई भी सन्देश कभी भी आसानी से खोज पायेंगे। फिल्टरों के बारे में फिर कभी लिखूँगा।
इस प्रकार आपने देखा कि जीमेल में खोज सम्बन्धी इन टिप्स का उपयोग करके हम पुरानी से पुरानी ईमेल को पलक झपकते खोज सकते हैं। मैंने कोशिश की है कि लगभग सभी चीजें शामिल हो गयी हों। यदि आप इनके अतिरिक्त कोई और टिप जानते हैं तो टिप्पणियों में बतायें।
utkarsh-shukla.blogspot.com