निरोगीदेह सब चाहते हैं। निरोगी काया से संसार के सुखों को भोगा जा सकता है। इसिलिए कहा गया है कि पहला सुख निरोगी काया। यदि फिर भी परिवार में किसी को कोई रोग लग जाता है और अनेक उपचार करने के बाद भी वह ठीक नहीं हो रहा है तो निम्न उपायौं द्वारा रोगमुक्त हुआ जा सकता है।
1.रविपुष्य योग में हत्थाजोडी को लाकर एवं पंचामृत से स्त्रान कराकर लाल आसन पर स्थापित कर धूप दीप से पूजा करें। फिर सिंदूर भरी डिब्बी में रख लें। इससे वाणी के दोष और रोग नष्ट होते हैं।
2. इमली का बांदा पुष्य नक्षत्र में लाकर दाएं हाथ में बांधने से देह का कंपन्न रोग दूर हो जाता है।
3. लाल लटजीरा की टहनी से दातून करने पर दांत के रोग से छुटकारा मिलता है। यदि उसे दूध में डालकर पीतें हैं तो संतानोत्पत्ति की क्षमता बढती है।
4. यदि घर में कोई बीमार रहता है तो शुक्लपक्ष के प्रथम गुरूवार से आटे के दो पेडे बनाकर उसमें गीली चने की दाल के साथ गुड और थोडी पिसी काली हल्दी को दबाकर गाय को खिलाने से स्वास्थ्य लाभ होता है।
5. रोग की अवस्था में घर की सभी घडियों को चालू हालत में रखें।
6. पांवों का कैसा भी रोग हो सोलह दांत वाली पीली कौडी में सूराख करके बांध लें।
7. नींद न आने पर श्वेत घुंघची की जड को तकिए के नीचे रखकर सोएं।
8. चक्कर आने की अवस्था में किसी भी रविवार या मंगलवार को गुलाबजल में 2 माशा गोरोचन पीसकर सेवन कर लें।
9. सुलेमानी रत्न को चांदी की अंगूठी में पहनने से स्मरणशक्ति का विकास होता है।
10. छोटे-छोटे प्याजों की माला को गले में धारण करने से तिल्ली रोग का शमन हो जाता है।
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achhi jaankari mili
जवाब देंहटाएंसराहनीय बात ..अमल किया जाय तो काफी फायदा होगा
जवाब देंहटाएंmahtvpurn jankari...
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