शनिवार, 28 अप्रैल 2012

Entertainment हेट स्टोरी : सैक्स! सैक्स !! सैक्स !!!


फिल्म समीक्षा
बैनर : बीजीवी फिल्म्स
निर्माता : विक्रम भट्ट
निर्देशक : विवेक अगि्नहोत्री
संगीत : हर्षित सक्सेना
कलाकार : पाउली दाम, निखिल द्विवेदी, गुलशन देवैया, मोहन कपूर
-राजेश कुमार भगताणी

कभी "सैक्स" शब्द पर आपत्ति उठाने वाले भारतीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड ने क्योंकर विक्रम भट्ट की फिल्म को "ए" सर्टिफिकेट के साथ प्रदर्शित करने की इजाजत दी है, यह एक गम्भीर और विचारणीय प्रश्न है। पूरी फिल्म अश्लीलता की उस पराकाष्ठा को दर्शाती है जिसे पोर्न सिनेमा कहा जाता है। फिल्म का अस्सी प्रतिशत हिस्सा ऎसा है जहां सिर्फ और सिर्फ सैक्स है, इसके सिवा और कुछ नहीं। बॉलीवुड की फिल्मों में अपने आप को सैक्सी और हॉट कहलाने वाली अभिनेत्रियां इस फिल्म को देखने के बाद अपने आप में शर्मिन्दगी महसूस करेंगी इसलिए नहीं कि वो अपने आप में सैक्सी बनती है बल्कि इसलिए कि जिस अंदाज और तरीके से बंगाली फिल्मों की नायिका पाउली दाम ने स्वयं को पेश किया है उसे देखकर।

हमारी नजरों में शायद ही बॉलीवुड में ऎसी कोई अभिनेत्री आई होगी जिसने इस तरह से खुलकर परदे पर अंग प्रदर्शन किया होगा या जिसने अपनी भाव भंगिमाओं से प्रणय के दृश्यों को इतनी जीवंतता के साथ परदे पर उतारा होगा। हालांकि फिल्म को देखते वक्त निर्माता, निर्देशक और अदाकारा के प्रति घृणा का सैलाब पैदा होता है लेकिन फिर भी दर्शक का मस्तिष्क इस फिल्म को फिर से देखने के लिए प्रेरित होता है। यदि दर्शक की यह इच्छा ज्यादा जोर मारने में सफल हो जाती है तो निश्चित रूप से विक्रम भट्ट की "हेट स्टोरी" बॉक्स ऑफिस पर कामयाबी का नया इतिहास रचेगी।

विक्रम भट्ट अब तक हॉरर बेचते थे, अब उन्होंने सेक्स का सहारा लिया है। हेट स्टोरी की कहानी यही सोच कर लिखी गई है कि इसमें ज्यादा से ज्यादा सेक्स सीन हो। सेंसर बोर्ड ने कुछ काट दिए और कुछ दृश्यों को कम कर दिया। हेट स्टोरी एक रिवेंज ड्रामा है, जिसमें फिल्म की हीरोइन अपना बदला लेने के लिए अपने जिस्म का इस्तेमाल करती है।

काव्या (पाउली दाम) एक पत्रकार है जो एक सीमेंट कंपनी के खिलाफ लेख लिखती है, जिससे उस कंपनी की प्रतिष्ठा को काफी नुकसान पहुंचता है। उस कंपनी के मालिक का बेटा सिद्धार्थ (गुलशन देवैया) इसका बदला लेने के लिए काव्या को अपने प्रेम जाल में फंसाता है। दोनों सारी हदें पार कर जाते हैं। इसके बाद सिद्धार्थ उसे छोड देता है क्योंकि उसने अपना बदला ले लिया है। काव्या प्रेग्नेंट हो जाती है और यह बात सिद्धार्थ को बताती है ताकि उसकी आधी जायदाद पाकर वह बदला ले सके। सिद्धार्थ न केवल उसका बच्चा कोख में ही मार देता है बल्कि काव्या की ऎसी हालत कर देता है कि वह कभी मां नहीं बन पाए।

इसके बाद काव्या अपने जिस्म का इस्तेमाल करती है। सिद्धार्थ की कंपनी के ऊंचे अफसरों के साथ सोती है ताकि उनसे कंपनी के राज मालूम कर सकें। नेताओं के साथ बिस्तर शेयर कर ऊंचा पद हासिल करती है और अंत में सिद्धार्थ की कंपनी को खत्म कर देती है। इस फिल्म के निर्देशक विवेक अगि्नहोत्री ने फिल्म को इरोटिक थ्रिलर कहा था, लेकिन फिल्म में कहीं भी थ्रिल नजर नहीं आता है। फिल्म की पटकथा में इतनी खामियां हैं कि दर्शक इसे देखते हुए स्वयं को ग्लानि में डूबा पाता है कि क्योंकर वह यह फिल्म देखने आया। क्या सिर्फ इसलिए कि इसमें इतने अश्लील दृश्य हैं या यूं कहें कि यह सेमी पोर्न फिल्म है। सारे किरदार आला दर्जे के बेवकूफ हैं।

काव्या ने जिस कंपनी के खिलाफ लेख लिखा है उसी कंपनी के भ्रष्ट मालिक सिद्धार्थ को वह एक ही मुलाकात के बाद अपना दिल कैसे दे देती है। सबसे बडी बात वह पत्रकारिता छोडकर उसकी कंपनी में नौकरी करने लगती है। जिस तरह निर्देशक ने काव्या के सेक्स जाल में नेता और अफसरों को फंसते हुए और राज उगलते हुए बताया है उसे देखकर निर्देशकीय सोच पर अफसोस होता है कि करोडों का कारोबार करने वाले यह व्यापारी क्या इतने अंधे और मूर्ख हैं जो एक लडकी के बहकावे में आकर अपनी कम्पनी की गुप्त बातों को उजागर करने लग जाते हैं।

लेखक ने जो रिवेंज ड्रामा लिखा है वो थर्ड क्लास है। ऎसे ड्रामे तो दक्षिण की उन सी ग्रेड फिल्मों में दिखाये जाते थे जिन्हें हिन्दी में डब करके प्रदर्शित किया जाता था। कथा-पटकथा के साथ-साथ निर्देशन भी जबरदस्त ढीला है। विवेक अगि्नहोत्री ने जिस अंदाज में नायिका को बदले लेते हुए दिखाया है वह दर्शक को हजम नहीं होता है। हां फिल्म की गति अविश्वसनीय रूप से बेहद तेज है। मुख्य किरदार के रूप में पाउली दाम अभिनय के नाम पर अप्रभावी हैं किन्तु उन्होंने जिस अंदाज में गरम दृश्यों को परदे पर उतारा है उसकी जितनी तारीफ की जाए वह कम है। उन्होंने सिर्फ कपडों को ही नहीं उतारा है, बल्कि अपने बदन को जिस अंदाज में कैमरे के सामने पेश किया है वह लाजवाब है। जिस तरह से उन्होंने कामुक अंदाज में अपने शारीरिक भाव दर्शाये हैं उतने ही वे अगर अभिनय में भी दर्शाती तो बात ही कुछ और होती।

गुलशन देवैया का अभिनय औसत दर्जे का है। जिस अंदाज में उन्होंने स्वयं को हकला पेश किया है वह ओवर एक्ट है। हालांकि उन्हें इस भूमिका में देखकर शाहरूख की फिल्म "डर" में निभाई गई भूमिका याद आती है। निखिल द्विवेदी न होते तो भी चलता। कुछ दृश्यों में नजर आए निखिल ने जरूर प्रभावित किया है। फिल्म का गीत संगीत भी कथा पटकथा, निर्देशन और संवादों की तरह बेजान है। कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि जिस तरह से आजकल सैक्स बेचा और देखा जा रहा है उसे देखते हुए माउथ पब्लिसिटी के जरिए यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर अपनी लागत के साथ-साथ मुनाफा कमाने में कामयाब हो सकती है। हालांकि इसकी शुरूआत बेहद धीमी रही है। फिल्म देख चुके दर्शक इसके सैक्सी दृश्यों की तारीफ जरूर करेंगे इसमें कोई शक नहीं है। यही तारीफ बॉक्स ऑफिस पर भीड जुटाने में कामयाब होगी।
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दोस्ती ईश्वर की अनुपम देन


दुनिया के तमाम खूबसूरत रिश्तों में से एक रिश्ता दोस्ती का है। दोस्त स्ट्रीटलाइट की तरह होते हैं, वे हमारे जीवन की राह में रोशनी भर देते हैं। इससे हमारा सफर सहज हो जाता है। एक सही और अच्छा दोस्त हमारी जिंदगी बदलने में महत्तवपूर्ण भूमिका निभाता है। जरूरी नहीं कि आपके दोस्त अपने सामाजिक दायरे से ही हों। कई बार भगवान उन्हें अलग-अलग रूपों में भेजता है। पशु-पक्षी भी आपके दोस्त हो सकते हैं या कई बार अचानक ऎसे व्यक्ति मिल जाते हैं जो खुद भी एक ईमानदार दोस्त की तलाश में होते हैं।
ब्रिटेन की यूनिवर्सिटी ऑफ नॉघिंटन के शोध के अनुसार वे लोग ज्यादा खुश रहते हैं, जिनके पास पुराने दोस्तों की संख्या ज्यादा होती है। शोध में यह भी पाया गया कि जिन लोगों के दस या ज्यादा दोस्त हैं, वे पांच या कम दोस्त वाले लोगों की तुलना में ज्यादाखुश होते हैं। शोधकर्ताओं के अनुसार पुराने ओर करीबी दोस्तों का होना व्यक्तिगत खुशी से जुडा होता है। जिंदगी में खुश रहने के लिए सिर्फ रूपयों का ढेर, बडे महल, महंगी गाडियां, ऊंचा पद ही खुश रहने के लिए काफी नहीं है। ये सब चिजें कुछ पल का सुख देती हैं। लेकिन दोस्त हमेशा हमारी खुशी को बनाए रखने का काम करता है। दोस्त हमें जीवन में कुछ अच्छा देते हैं। जीवन की बैटरी को चार्ज करने के लिए दोस्ती की जरूरत होती है।
एक अच्छा और सच्चा दोस्त वह होता हे जो आपकी राहों में आई मुश्किलों का हल निकालते हैं। एक सच्चा दोस्त वह है जो आपके दिल की बात को समझ पाए ओर आपका संबल बढाकर आपको सही रास्ता दिखाए। अच्छे दोस्त को कैसे ढूंढा जाए या कैसे पहचाना जाए। दोस्ती की कोई सीमा या मापदंड नहीं होता। अच्छा दोस्त पाने के लिए आप अपने मिलने-जुलने वालों में से उन पर गौर करें, जिनसे आप सहज रूप से बात कर पाते हों। जिनकी बातों पर आपको हंसी आती हो या आपके परेशान होने पर उनका भी मन उदास हो जाता हो। जरूरी नहीं कि आपका दोस्त आपका हमउम्र हो या आपके स्टेटस का हो या आप दोनों का धर्म या भाषा एक हो। दोस्ती कभी भी किसी से भी हो सकती है। ऑफिस में आपकी सीट के पास बैठने वाला सहकर्मी भी आपका दोस्त हो सकता है। वॉक पर रोजाना मिलने वाले दादाजी या कोई बुजुर्ग, नियमित रूप से आपका चैकअप करने वाला आपका डॉक्टर या पडौस में रहने वाली बुजुर्ग आंटी कोई भी आपका दोस्त हो सकता है। लेकिन इस दोस्ती को लंबे समय तक बनाए रखने के लिए आपसी प्रेम और विश्वास होना बहुत जरूरी है।
अच्छे दोस्त आपके जीवन को सार्थक बनाते हैं। सकारात्मक ऊर्जा के साथ वे आपको जीवन जीने का हौंसला देते हैं। जब जिंदगी के रास्ते बंद हो जाते हैं और कोई उम्मीद नहीं बचती तब अच्छे दोस्त ही जीने का सहारा बनते हैं। अच्छे दोस्त हमें बुरे पलों से उबारते हैं। दोस्ती खुशी को दोगुना करके, दुख को बांटकर उल्लास बढाती है और मुसीबत कम करती है। एक सच्चा दोस्त हर परिस्थिति में आपका साथ देता है। वह मुश्किल पलों से आपको निकालने में मदद करता है। बिना दोस्तों के जिंदगी मुश्किल होती है। हमें चाहे रोना हो या हंसना, दोनों ही परिस्थिति में दोस्त जरूरी है।
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दही खाओ निरोगी रहो


दूध में लैक्टोबेसिल्स बुलगारिक्स बैक्टीरिया को डाला जाता है, इससे शुगर लैक्टीक एसिड में बदल जाता है। इससे दूध जम जाता है और इस जमे हुए दूध को दही कहते हैं। दूध के मुकाबले दही खाना सेहत के लिए ज्यादा फायदेमंद है। दूध में मिलने वाला फैट और चिकनाई शरीर को एक उम्र के बाद नुकसान पहुंचाता है। इस के मुकाबले दही से मिलने वाला फास्फोरस और विटामिन डी शरीर के लाभकारी होता है। दही में कैल्सियम को एसिड के रूप में समा लेने की भी खूबी होती है। रोज 300 मि.ली. दही खाने से आस्टियोपोरोसिस, कैंसर और पेट के दूसरे रोगों से बचाव होता है।
डाइटिशियन के मुताबिक दही बॉडी की गरमी को शांत कर ठंडक का एहसास दिलाता है। फंगस को भगाने के लिए भी दही का प्रयोग किया जाता है।
बीमारियां भगाता है दही :आज की भागदौड की जिंदगी में पेट की बीमारियों से परेशान होने वाले लोगों की संख्या सब से ज्यादा होती है। ऎसे लोग यदि अपनी डाइट में प्रचूर मात्रा में दही को शामिल करें तो अच्छा होगा। दही का नियमित सेवन करने से शरीर कई तरह की बीमारियों से मुक्त रहता है। दही में अच्छी किस्म के बैक्टीरिया पाए जाते हैं, जो शरीर को कई तरह से लाभ पहुंचाते हैं। पेट में मिलने वाली आंतों में जब अच्छे किस्म के बैक्टीरिया का अभाव हो जाता है तो भूख न लगने जैसी तमाम बीमारियां पैदा हो जाती हैं। इस के अलावा बीमारी के दौरान या एंटीबायटिक थेरैपी के दौरान भोजन में मौजूद विटामिन और खनिज हजम नहीं होते। इस स्थिति में दही सबसे अच्छा भोजन बन जाता है। यह इन तत्वों को हजम करने में मदद करता है। इससे पेट में होने वाली बीमारियां अपनेआप खत्म हो जाती हैं। दही खाने से पाचनक्रिया सही रहती है, जिससे खुलकर भूख लगती है और खाना सही तरह से पच भी जाता है। दही खाने से शरीर को अच्छी डाइट मिलती है, जिस से स्किन में एक अच्छा ग्लो रहता है।
इन्फेकशन से बचाव: मुंह के छालों पर दिन में 2-4 बार दही लगाने से छाले जल्द ही ठीक हो जाते हैं। शरीर के ब्लड सिस्टम में इन्फेक्शन को कंट्रोल करने में वाइट ब्लड सेल्स का महत्तवपूर्ण योगदान होता है। दही खाने से वाइट ब्लड सेल्स मजबूत होते हैं, जो शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं।
बढती उम्र के लोगों को दही का सेवन जरूर करना चाहिए। जो लोग लंबी बीमारी से लड रहे होते हैं, उन्हे दही अवश्य खाना चाहिए। दही उनके लिए बहुत फायदेमंद होता है। सभी डायटीशियन एंटीबायटिक थेरैपी के दौरान दही का नियमित सेवन करने की राय देते हैं। दही के सेवन से हार्ट में होने वाले कोरोनरी आर्टरी रोग से बचाव किया जा सकता है। डॉक्टरों का मानना है कि दही के नियमित सेवन से शरीर में कोलेस्ट्रोल को कम किया जा सकता है।
सबके लिए लाभकारी: दही एक प्रिजर्वेटिव की तरह काम करता है। दही खमीरयुक्त डेयरी उत्पाद माना जाता है। पौष्टिकता के मामले में दही को दूध से कम नहीं माना जाता है। यह कैल्सियम तत्व के साथ ही तैयार होता है। कार्बोहाइडे्रट, प्रोटीन और फैट्स को साधारण रूप में तोडा जाता है। इसलिए दही को प्री डाइजेस्टिक फूड माना जाता है। दही को छोटे बच्चों के लिए भी उपयुक्त होता है। जोलोग किसी कारण लैक्टोस यानी शुगर मिल्क का सेवन नहीं कर पाते वे भी दही का सेवन कर सकते हैं। शुगर लैक्टीेक एसिड में बंट जाती है। बैक्टीरिया भी कैल्सियम और विटामिन बी को हजम करने में मदद करता है।
अगर मीठा दही खाना हो तो इसमें चीनी की जगह पर शहद या ताजा फलों को मिलाया जा सकता है। दही और छाछ गरमी को अंदर और बाहर दोनों तरह से बचाता है। दही तपती धूप का प्रकोप रोकने में भी सहायक है। ठंडे या फ्रिज में रखे दही का सेवन नहीं करना चाहिए। सदैव ताजा दही का ही सेवन करना चाहिए।
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लव आज और कल


कबीरदास जी ने कहा था "ढाई अक्षर प्रेम का पढे़ सो पंडित होय", लेकिन आज अपने आसपास नजर डालें तो पायेंगे की इन ढाई अक्षरो को कोई नहीं पढ़ रहा। वे ढाई अक्षर अब बडे़ रेलवे स्टेशनों के बाहर खडे़ स्टीम इंजनों की तरह हो गए हैं। जिन्हे अब उपयोग में नहीं लिया जाता, वे सिर्फ दर्शनीय हो गयें हैं। अंदर की पटरियों पर तो "143" की मेट्रो ट्रेनें धकाधक दौ़ड रही हैं। 143 मतलब "आई लव यू"। इस भागदौ़ड के समय में इतना धैर्य किसके पास है जो "आई लव यू" जैसा लंबा जुमला उछाले, इसलिए इसे "अंकगणित" में बदल दिया गया और यह हो गया "143"। इधर से 143 तो उधर से 143 बस हो गया प्रेम। आजकल की पीढ़ी "प्रेम" जैसी धीर-गंभीर पोथी को शार्टकट में पढ़ना चाहते हैं। फिल्मी गीतकारों ने यू तो हमारी युवा पीढ़ी को हजारों संदेश दिए हैं। इनमें "कम्बख्त इश्क़" या "इश्क कमीना " जैसे नेगेटिव संदेश भी आए, जो प्रेमियों को प्रभावित नहीं कर सके। एक गीतकार ने तो इस पीढ़ी की मौसम ज्ञान संबंधी भ्रांतियां दूर कीं और पांचवा मौसम "प्यार" का बताया। एक जमाना वो था जब आदमी एक ही औरत से 50-60 सालों तक प्रेम किया करता था, अब हालात बदल गए हैं। जैसे एक आम आदमी इन दिनो एक साथ गरीबी, बेकारी, भूखमरी, जातिवाद, भ्रष्टाचार और पूंजीवाद से ल़ड रहा है। उसी तरह हमारे प्रेमी-प्रेमिकाओं का 143 एक साथ कई लाइनों पर चल रहा है। एक-एक प्रेम दीवानी एक साथ 10-10 दीवानों से इश्क फरमा रही हैं, दीवानों का भी यही हाल हैं।
इनमें से कि सी भी प्रेमी को अपनी प्रेमिकाओं का ताजा स्कोर बताने में कोई संकोच नहीं होता है। अगर किसी ल़डकी के प्रेमियों की गिनती 32 तक पहुंच रही हैं तो वो 35 प्रेमियो वाली अपनी फ्रेंड से इंफीरियर महसूस करती है। प्रेमियों की ये पीढ़ी साल में जितने कप़डे नहीं बदलती उतने प्रेमी बदल रही हैं। एक प्रेम का एसएमएस 10 प्रेमिकाओं को एक साथ भेजा जाता है और रोटेशन में वही एसएमएस लौटकर प्रेमी के पास आ जाता है। इन दिनों 143 की शुरूआत प्राइमरी के समापन और मिडिल की शुरूआत से हो रही हैं। पहले मिडिल , फिर हायर सेकंडरी, फिर कोचिंग क्लासेस, फिर कॉलेज की खुली हवा एक साथ कई प्रेमियों को ले बैठती है। लडकियों को आजकल नौकरी का शौक भी खूब चढ़ रहा है।
थर्ड क्लास ग्रेजुएट भी पांच-सात सौ की किसी प्राइवेट स्कूल में टीचर की नौकरी पा कर अपने प्रेमियो की सूची में इजाफा करती हैं। कई बालाएं तो विवाह की वेदी पर किसी कुंआरे की बलि लेने से पहले 10-20 ल़डको का शिकार कर चुकी होती हैं। ये सारे पंडित प्रेम की भाषा पढ़ने के बजाए 143 के जरिये देह का भूगोल पढ़ रहे हैं। इनका प्रेम शरीरी है जो इस देह से शुरू होकर इसी देह पर खत्म हो जाता है। आज के दौर में प्रेम विवाह भी बहुतायत में होने लगें हैं, लेकिन मजे की बात यह है कि प्रेम विवाह के बाद भी इन्सान प्रेम की तलाश में जुटा हुआ है। आज अगर कबीर होते तो अपने ढाई अक्षरों को 143 में बदलते देख फिर कहते- दिया कबीरा रोय।
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भरपेट खाएं वजन घटाएं

वजन घटाने के लिए पारंपरिक आहार लेने से यदि आप खाद्यप्रदार्थ की मात्रा कम लें तो आप का शरीर संतुलन रखने के लिए आप की कैलोरी को जलाने की क्षमता धीमी कर देता है। इस के परिणामस्वरूप आप की उपापचय दर भी 25 प्रतिशत तक कम हो जाती है और आप कैलोरी धीमी गति से खर्च करते हैं अत: आप कम कैलोरी वाला आहार लें तो भी आप का वजन घट नही पाता ।
 वजन घटाने के पारंपरिक तरीके के अंतर्गत आप कैलोरी गिनते है और इस बात का भी घ्यान रखते है कि आप क्या क्या खा रहे है अंतत: आप इस सारी परेशानी से ऊब जाते है भूखा रहना,बेस्वाद भोजन खाना और अनेक खाद्य प्रदार्थो से वंचित रहना आप को खलने लगता है आप सारी डाइटिंग वाइटिंग भूल कर फिर वजन बढा लेते है।

चिकनाई रहित भोजन
 इस के लिए सही तरीका यह है कि भोजन की मात्रा नही बल्कि उस के प्रकार पर घ्यान दिया जाए बस वह भोजन लीजिए जिस मे चिकनाई कम हो जटिल कार्बोहाइडे्रट की मात्रा अधिक हो और अधिकाधिक रेशों का समावेश हो ऎसे भोजन से बचिए,जिस मे वसा और कोलेस्टरोल की मात्रा अधिक है और जो पूरी तरह कार्बोहाइडे्रट और रेशों से रहित है सही पोष्टिक आहार (रेशे व कार्बोहाइडे्रट युक्त) के कम वसायुक्त होने के कारण बहुत सारी कैलोरी खाने के पहले ही आप का पेट भर जाता है और फिर भी आप का वजन आसानी से कम हो सकता है।
कुछ समय पूर्व गायक अदनान सामी ऊंचे सुरो वाले गीत गाने के बाद जब मंच से उतरते थे तो उन की सांस फूलने लगती थी वह काफी मोटे थे और शायद इस भय से कि कहीं दिल के दौरे का शिकार न हो जाएं वह दीवार से टेक लगा कर खडे हो जाते थे वह बताते है,बस मै ने वसा मे कटौती कर दी और जी भर के फल और सब्जियां खाने लगा,साथ ही एक्सरसाइज को भी समय दिया। कुछ महीनों में उन्होने अपना वजन 80 किलोग्राम से भी ज्यादा कम कर लिया।

आहार संबंधी कुछ बातें
 यह बात बिलकुल संभव है कि जम कर खाना खाया जाए,उस का आनन्द लिया और याथ ही वजन भी कम होता रहे बस आप को कुछ बातें जानना जरूरी है।
 आप का पेट जब तक पूरी तरह न बर जाए आप इन मे से कुछ भी खा सकते है। फलियां (सेम, मटर, काली सोयाबीन)फल (जामुन, संतरे, खुबानी, खरबूजा, केले तथा नाशपाती) अनाज भुट्टा, चावल, जई, गेहूं, बाजरा, जौ तथा मोठ) सब्जियां (पत्तागोभी, फूलगोभी, गाजर, सलाद के पत्ते, प्याज, शकरकंद, पालक, मशरूम, बैगन, अजवाइन के पत्ते, मेथी, चौलाई तथा टमाटर)
 जटिल कार्बोहाईडे्रट पहचानना भी जरूरी है अधिकतर लोग समझते है कि डबल रोटी और आलू खाने से शरीर मोटा होता है किन्तु वास्तव में वजन उन चीजो से बढता है जो हम उन के साथ शामिल कर लेते है एक भुने हुए आलु में न तो कोलेस्टरोल होता है न ही वसा किन्तु उस पर मक्खन लगा कर या उन्हे तल कर ही आप ने एक आदर्श आहार को वर्जित बना डाला अत: वसा युक्त चीजो का इस्तेमाल करने के बजाय विभिन्न मसालो से अपने खाने का जायका बढाने का प्रयास कीजिए।

 संतुलित आहार
 जटिल कार्बोहाईडे्रट्स में कैलोरी की मात्रा कम होती है रेशा अधिक होता है और ये भारी भी होते है अत: कम खाने से भी आप का पेट भर जाता है इस के विपरीत साधारण कार्बोहाईडे्रट अर्थात शक्कर, अल्कोहल, शहद, शीरा आदि से पेट नही भरता उन में न तो रेशा होता है और न ही वे भारी होते है।
वसा की मात्रा घ्यान में रखते हुए संतुलित आहार लीजिए कम वसा वाले अथवा वसारहित पदार्थ खाने पर जोर दीजिए वसारहित दही अथवा पनीर ,बिना चिकनाई वाले बिस्कुट आदि तेल का इस्तेमाल कम करे। वसायुक्त आहार खाने के बाद जमा की गई कैलोरी को बाद में खर्च करना अधिक दुष्कर है बेहतर है कि अधिक मात्रा में कैलोरियां उदरस्थ ही न की जाएं प्रतिदिन सामान्य गति से 20 से 60 मिनट तक चलना ही पर्याप्त है।
सामान्य से अधिक वजन होना इस बात का प्रत्यक्ष प्रमाण है कि आप ने कितनी वसा ली प्राय: मांसाहारी भोजन और तेलों के द्दारा आप के शरीर में पहुंचती है। किन्तु यदि आप इन दिशानिर्देशा पर चलेंगे तो आप सचमुच वजन घटा रख सकते है और आप की कमर के घेरे मे कमी आप के जीवन में कुछ वर्ष अवश्य जोड देती है।
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all izz well: क्या है कालसर्प योग का समाधान...

all izz well: क्या है कालसर्प योग का समाधान...

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क्या है कालसर्प योग का समाधान...

कालसर्प योग विवाद का विषय है। इस योग के दुष्परिणाम एवं उनका अतिशयोक्तिपूर्ण वर्णन की अनदेखी किए जाने पर भी एक बात निर्विवाद माननी पडती है कि इस योग में निश्चित रूप से तथ्यांश है। इसका कारण यह है कि कालसर्प योग में जन्मे व्यक्ति का कोई न कोई पक्ष कमजोर रहता है। अनवरत कष्ट सहने के बावजूद यश प्राप्ति न होना तथा स्थिरता का अभाव होना आदि कालसर्प योग के प्रमुख लक्षण हैं। यह योग तब होता है जब राहु और केतु के एक ओर सभी ग्रह आ जाते हैं। नक्षत्र, ग्रह, राहु-केतु का उलटा भ्रमण तथा स्थानों के क्रमानुसार अनंत, कुलिक और वासुकि आदि 12 तरह के कालसर्प योग हैं। इसके दुष्परिणामों के संबंध में मतभिन्नता न होते हुए भी कालसर्प निवारण उपायों में मतभिन्नता पाई जाती है। महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश तथा कर्नाटक आदि में इस योग की शांति करने का प्रावधान है।
श्रद्धा के साथ शांति कर्म करने पर कालसर्प योग के दुष्परिणाम दूर होकर जातक के आत्मबल में वृद्धि होती है। कालसर्प योग के जातक दुर्भाग्यशाली होते हैं, ऎसी गलतफहमी समाज में व्याप्त है। परंतु सूक्ष्म निरीक्षण करने से यह बात ध्यान में आती है कि यह योग आध्यात्मिक दृष्टि से उच्च कोटि का है। ऎसे लोगों को सुख-दुख, मान-अपमान तथा उन्नति-अवनति आदि के बारे में परस्पर विरोधी अवस्थाओं से गुजरना पडता है।
वे हमेशा आह्वानात्मक जीवन जीते है। स्वामी समर्थ, महात्मा गांधी, पं. जवाहरलाल नेहरू, मुसोलिनी, हिटलर तथा लता मंगेशकर आदि का जीवन सच्चे अर्थो में क्रांतिकारी कहा जा सकता है। ऎसे व्यक्तियों ने अपने जीवन में कीर्ति एवं मान-सम्मान आदि का अति उच्च शिखर प्राप्त किया लेकिन इसके साथ ही साथ अनेक कष्ट भी झेले। कई राष्ट्रपुरूष साहित्य, संगीत, शिल्पकला, स्थापत्य शास्त्र, विज्ञान एवं ज्योतिष आदि विविध क्षेत्रों में भी शिखर पर पहुंचे।
इन पुरूषों की कुंडलियों में कालसर्प योग के स्पष्ट दर्शन होते है। दत्त के महावतार श्री स्वामी समर्थ की जन्मकुंडली में भी कालसर्प योग दिखाई देता है। ऎसे जातक जहां कीर्ति, यश ऎश्वर्य, साक्षात्कार तथा उच्च कोटि की ज्ञान साधना प्राप्त करने में समर्थ होते हैं वहीं वे समाज की ओर से निर्भत्सना, अपयश एवं न्याय आदि कष्ट भी पाते हैं। इसलिए कालसर्प योग या इस योग की छाया से युक्त कुंडली वाले जातक सच्चे अर्थो में स्थितप्रज्ञ योगी होते हैं। यदि विवाह तय होने के समय लडके या लडकी की कुंडली में कालसर्प योग हो तो उसे त्याज्य न समझकर उसका स्वागत करना चाहिए। ऎसे लोग आह्वानात्मक जीवन जी कर देश, परिवार और समाज के लिए उपयोगी होते हैं।
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Astro Saathi – Kalsarpa Yoga

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