गुरुवार, 1 सितंबर 2011

रहस्य लंबी उम्र का

इधर कुछ वर्षों से चाहे चिकित्सक हों या चुस्त-दुरूस्त रखने वाली दवाओं एवं टॉनिकों के निर्माताओं के सम्मोहक विज्ञापन अथवा वड़ी-बड़ी बीमा कम्पनियों के बीमांक या ‘एक्चुअरी’ जो विभिन्न आयु समूहों की औसत मृत्यु दर पर शोध के लिए मशहूर होते हैं, लगता है सिर्फ एक ही चर्चा में लीन है- दीर्घायु कैसे बनें?

यौवन, स्वास्थ्य, सौन्दर्य, लंबी आयु और अमरत्व- सदियों से मानव जाति इन प्रश्नों का उत्तर खोज रही हैं। पर आज तो स्वास्थ्य और सौन्दर्य की देशी-विदेशी पत्रिकाओं में तो नियमित रूप से सिर्फ इसी विषयवस्तु पर अधिक ध्यान दिया जाता है जिसमें लम्बी उम्र के लोगों के साक्षात्कारों द्वारा उनके स्वास्थ्य का रहस्य उजागर किया जाता है। एक रोचक बात यह है कि इस विषय पर समय-समय पर वयोवृद्ध लोगों से जब साक्षात्कार में उनकी लम्बी आयु का रहस्य पूछा जाता है तो उनके उत्तर भी मजेदार होते हैं क्योंकि लम्बी आयु पाने का कोई एक नुस्खा नहीं होता। उनके उत्तर बहुधा असमंजस में डाल देते हैं।

बोस्टन में रहने वाली 104 वर्षीय एन्जेजीन स्ट्रैन्डल से हाल में पूछा गया तो उन्होंने कहा- ‘मैं शाकाहारी हूं, शराब और सिगरेट छूती तक नहीं।' वे पिछली बार सन 1925 में बीमार पड़ी थी। हवार्ड मेडिसिन स्कूल के शोधकर्ताओं का कहना है कि 110 वर्ष से उपर के अनेक लोगों ने कहा कि वे कॉफी नहीं पीते क्योंकि वे इसे नुकसानदायक मानते थे। पर एक दूसरे वर्ग के अनुसार वे पिछले अनेक वर्षों से काफी पीते आ रहे हैं क्योंकि उनके डाक्टरों का कहना है कि इससे कैंसर की कोई संभावना नहीं होती। इसी तरह एक ओर कहा गया कि शराब त्याज्य है क्योंकि यह जहर है पर दूसरों का अनुभव यह है कि संयमित मात्रा में एक दो पेग लेने में कोई नुकसान नहीं बल्कि ‘लाल वाइन’ लेना स्वास्थ्य के लिए जरूरी है। डाक्टरों का एक वर्ग सलाह देता है कि चाकलेट खाना हानिकारक है, दूसरा वर्ग कहता है कि कोको या काफी की काली चाकलेट का नियमित सेवन हृदय रोगों से दूर रखता है।


एक वयोवृद्ध से जब अच्छे स्वास्थ्य का रहस्य पूछा गया तब उसने कहा कि मक्खन, नमक, तले भोजन व सिगरेट से बहुत दूर रहता है। रूस के काकेशस क्षेत्र जहां 100 से 125 वर्ष तक की आयु के 10,000 से अधिक लोग हैं, अधिकांश लोगों के साक्षात्कारों में यह तथ्य सामने आया कि वे दूध, अण्डे, सब्जियों और फलों का बहुत उपयोग करते हैं और ‘प्रोसेस्ड’ टिन के भोजन, बोतलों से भरे टमाटर सॉस और जंक फूड का कभी सेवन नहीं करते हैं। दूसरी महत्वपूर्ण बात उनका रोज का कड़ा शारीरिक श्रम है।

दूसरे और कुछ लोगों का मानना है कि अपरान्ह में कुछ घंटे भोजन के बाद आराम करना, संध्या को एक दो पैग शराब पीना, मांसाहार व तनाव मुक्त रहने के कारण वे लम्बे वर्षों तक स्वस्थ रह सके। लम्बी आयु के संबंध में चिकित्सा विशेषज्ञों के एक दूसरे के काटने वाले परस्पर विरोधी तर्कों के सामने एक साधारण व्यक्ति क्या समझे, यह भी एक भ्रमपूर्ण स्थिति है। फिर भी विशेषज्ञों में एक बात पर आम सहमति है और वे मानते हैं कि लंबी उम्र के लिए सबसे महत्वपूर्ण तत्व सदा प्रसन्नचित रहना है। इससे अधिकर और कोई फार्मूला कारगर नहीं हो सकता। दूसरी शर्त आपकी महत्वाकांक्षा है जिसकी वजह से जीवित रहने की अदम्य इच्छा कभी मंद नहीं पड़ती है।

इंग्लैण्ड में हाल ही में एक अध्ययन द्वारा यह सिद्ध किया गया है कि जीवन के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण और सुखद वैवाहिक जीवन जिन्दगी के सालों को स्वतः बढ़ा देता है। दिन प्रतिदिन के संतुष्ट जीवन में छोटी-छोटी खुशियां, दोस्तों से मेल-मिलाप, छोटे शहर या गांव में रहना- इस तरह की जिन्दगी आपकी औसत आयु में 20 वर्ष जोड़ सकती है।

इन छोटी-छोटी बातों का स्वास्थ्य पर इतना गहरा प्रभाव पड़ता है कि कनाडा के कुछ विशेषज्ञ यह भी मानते हैं कि यदि कोई ट्रैफिक से भरपूर मुख्य मार्ग पर रहता है तब निरन्तर तनाव की वजह से उसकी आयु ढ़ाई वर्ष घट जाती है। जीवन शैली में कुछ छोटे बदलाव लाने से जीवन अवधि को आगे बढ़ाया जा सकता है। उदाहरण के लिए चाय पीने की आदत कुल आयु में चार साल जोड़ सकती है।

हमारे जीवन के कुछ सामान्य पक्ष भी, जिन पर हमारा बस नहीं है, आयु निर्धारित करने में महत्वपूर्ण सिद्ध होते हैं। महिला होना संभावित आयु के निर्धारण में फायदेमंद है। औरतों की औसत आयु पुरुषों से पांच साल अधिक है। मातृत्व तो और भी लाभकारी सिद्ध हो सकता है। वे लड़कियां जो 30 वर्ष की आयु के भीतर परिवार बसा लेती है उनको स्तन कैंसर होने की संभावना न के बराबर होती है।

अब तो बीमा कंपनियों के शोध के आंकड़ों के आधार पर आप अपनी जीवन अवधि का अंदाज स्वयं भी लगा सकते हैं। यदि आपके दादा-दादी 80 साल या अधिक आयु तक जीवित रहे तो आपकी अपनी संभावित आयु में 5 वर्ष जुड़ जाते हैं। यदि आपके माता-पिता या सगे भाई-बहन में कोई 50 वर्ष से कम आयु में हृदय रोग या कैंसर से मरता है तो अपनी आयु में चार साल घटा दीजिए।

जीवन शैली और कुछ निजी आदतें भी आपकी जीवन-अवधि का निर्धारण करती हैं। आयरलैण्ड विश्वविद्यालय के एक अध्ययन के अनुसार समृद्ध और खुशहाल परिवार में जन्म लेना और किसी का शिक्षित होना या स्नातक होना भी आयु को प्रभावित करता है। इससे आयु में चार वर्ष अधिक बढ़ते हैं। इसी तरह यदि कोई साठ साल का है और फिर भी काम करता है तब उसकी सामान्य आयु में तीन वर्ष बढ़ जाते हैं। इसी तरह आज सभी डाक्टर कहते हैं कि दिन में दो कप चाय पीने की आदत में चमत्कारिक गुण छिपे हैं। पत्तियों के रसायन में कैंसर से लड़ने की क्षमता होती है और इसे चिकित्सक की शब्दावली में ‘एंटी-आक्सीडेंट’ माना जाता है।

पर जो लोग सादगी भरा कड़ा जीवन बीताते हैं, जिसमें शारीरिक श्रम या पैदल चलना भी शामिल है, उन्हें हताश होने की जरूरत नहीं है। अनेक डाक्टर मानते हैं कि यदि आपको जबर्दस्त भूख लगती है और कड़े परिश्रम के आप आदी हैं और रात में यदि आप घोड़े बेच कर सोते हैं तब इससे अच्छे स्वास्थ्य की आप कल्पना भी नहीं कर सकते। जिस तरह खुशनुमा वैवाहिक जीवन से आयु के पांच वर्ष बढ़ सकते हैं, जो लोग शहर की तनावग्रस्त जिंदगी छोड़कर गांव में बस जाते हैं उनकी सामान्य आयु में आठ वर्षों का इजाफा हो जाता है। विशेषज्ञ इस बात पर एक मत हैं कि आज विभिन्न वर्ग के मेहनतकशों के अधिक स्वस्थ रहने की संभावना हैं क्योंकि प्रकृति आज भी उनके साथ है। सम्पन्न परिवार के लोगों की मानसिकता, जीवन शैली और रूझानों ने मानव को शारीरिक दोषों के अलावा दर्जनों प्रकार के मनोरोगों को जन्म दिया है जिसके लिए चिकित्सा क्षेत्र में नई चिंता व्याप्त है। उनके लिए प्रसन्नता, जिसे लंबी आयु की कुंजी कहा गया है, उस छोटी सी गौरय्या जैसी है जो आपकी खिड़की पर बैठी तो है पर आपको दिखती नहीं है।
हरिकृष्ण निगम ....................
http://www.vhv.org.in/story.aspx?aid=3275

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