दुनिया का सबसे ज्यादा झूठ बोलने वाला वाक्य ढूंढ रही थी...दुनिया यानि मेरी या मेरे जैसे और लोगों की दुनिया का सबसेट...आखिर दुनिया उतनी ही तो है न जितनी हम जानते हैं...बाकी दुनिया तो हम तक पहुँचती नहीं. कम्पीटीशन कड़ा है...बहुत से उम्मीदवारों को छांटने के बाद मुझे दो बहुत ही मजबूत उम्मीदवार दिखे...'मैं तुमसे प्यार नहीं करती' और 'मैं एकदम ठीक हूँ, मेरी चिंता मत करो'. एकदम अलग अलग समय और माहौल में बोले गए ये दो वाक्य अक्सर सबसे ज्यादा जो कहते दिखते हैं ठीक उससे उलट मतलब होता है इनका.
पहला वाला 'मैं तुमसे प्यार नहीं करती हूँ/आई डोंट लव यू' से तो बहुतों का पाला पड़ा होगा...गौर कीजिये कि ये वाक्य लड़कियों की ओर से कहा जा रहा है...ऐसा नहीं है कि लड़के ऐसा झूठ बोलते ही नहीं है पर अगर आप कोई रिसर्च करेंगे तो देखेंगे कि इस मामले में लड़कियां झूठ बोलने में लड़कों को काफी पीछे छोड़ती हैं. रिसर्च जाने दीजिये, अगर आप इस पोस्ट को पढ़ रहे हैं और लड़की/महिला हैं तो आप जानती हैं उम्र के कितने पड़ाव पर कितनी सहेलियों के किस्से जब उन्हें किसी लड़के ने हिम्मत करके प्रपोज कर दिया था. याद कीजिए...हॉस्टल का कमरा हो कि शाम को मोहल्ले का पार्क जहाँ रोज की गपशप(गोसिप?) होती है.
लड़कियां वैसे भी लड़कों से ज्यादा बातें करती हैं...मुझे अपने हॉस्टल का कमरा याद आता है...जहाँ हर रात खाने के बाद तमीज का सेशन होता था जिसमें मेरे जैसे कुछ लोग होते थे जो अपनाप को बहुत समझदार समझते थे...ख़ास तौर से रिश्तों के मामले में. मुझे हमेशा लगता था कि मुझे दूर की चीज़ें भी महसूस होती हैं. ये लवगुरु टाईप का तमगा अर्न(earn...you have to earn a Bournville types) करना होता है. जब बहुत दिन तक आपकी दी हुयी मुफ्त की सलाह से लोगों का फायदा हो तो सम्मिलित रूप से लोग आपको ये महान उपाधि देते हैं. ये तब भी होता है जब कोई मुश्किल दौर से गुज़र रही हो और आप उसके मन को हूबहू समझ सकें और उसके मन मुताबिक कोई रास्ता निकल सकें. बहुत मुश्किल काम होता है ये...अपने फ्रीटाइम के इस उपयोग के कारण हमेशा से रिश्तों की कई गुत्थियाँ हमने अनुभव से सुलझाई हैं.
खैर...दिल्ली में तो काफी नोर्मल सी चीज़ थी पर पटना में प्यार वगैरह बड़ी आफत हुआ करती थी...किसी को जाने, देखे, मिले, समझे बिना लड़के प्रोपोज कर मारते थे और लड़कियां बेचारी मुश्किल में पड़ जाती थीं. सबको घर से धमकी आलरेडी मिली रहती थी लड़कों से ज्यादा बात वात मत करो टाइप्स...वैसे में कोई लड़का सीधे आ के बोल रहा है कि 'आई लव यू' तो अगर उसको पसंद भी करते हैं तो क्या कर सकते हैं. बेचारी लड़की दिल पर पत्थर रख के कहती थी 'मैं तुमसे प्यार नहीं करती हूँ'.
लड़की के ऐसा कहने के पीछे बहुत सारा लोजिक रहता था...लड़की सबसे पहले सोचती थी लड़के का टाइटिल क्या है...यानि कि हमारे कास्ट का है कि नहीं...पहला न तो वहीं से उपजता था...पटना में उस समय कास्ट का बहुत पंगा चलता था...तो अगर लड़का दूसरी जाति का है तो बिना सोचे समझे, प्यार को मौका दिए न कह दिया जाता था. अगर बमुश्किल लड़का आपकी जाति का निकला(जो कि कभी नहीं होता था...सब आपस में मैच ऑप्शन के टेबल की तरह इधर उधर हुए रहते थे) तो दूसरी परेशानी आती थी कि कोई जान लेगा तो क्या होगा. लड़के से मिलेंगे कैसे, कोचिंग बंद हो जायेगी...भाई रोज छोड़ने आएगा...मम्मी से डांट पड़ेगी...वगैरह. इन सबसे सबसे मुश्किल चीज़ होती थी कि मिलेंगे कहाँ...और दूसरा खतरा...किसी ने देख लिया तो. तो इन सब प्रक्टिकल कारणों से लड़कियां सीधे न कह लेती थीं. एक बार में झंझट ख़तम.
दुनिया का सबसे बड़ा झूठा वाक्य का दूसरा उम्मीदवार है 'मैं एकदम ठीक हूँ, मेरी चिंता मत करो'. ये वाक्य भी अधिकतर लड़कियां ही कहती हैं. इस वाक्य को कहने का एक और सिर्फ एक आशय होता है...कि मैं एकदम ठीक नहीं हूँ...थोड़ा मेरे और करीब आकर देखो कि मेरा दिल क्यूँ टूटा है...मैं क्यूँ बिखर रही हूँ...मुझे सम्हाल लो...मैं तुमसे इतना प्यार करती हूँ कि तुम्हें किसी तरह की परेशानी या दुःख न हो इसलिए कहती हूँ कि मैं ठीक हूँ. लड़की ऐसी अजीब शय होती है वो भी मुहब्बत में कि जान देने जा रही होगी और आप उससे पूछेंगे कि कैसी हो, मैं आ जाऊं तो कह देगी 'मैं एकदम ठीक हूँ, मेरी चिंता मत करो' इस वाक्य का हमेशा उल्टा मतलब होता है...डेंजर सिग्नल है एकदम ये वाला. इसको कभी भी इग्नोर नहीं करना चाहिए.
कैसा अजीब होता है न प्यार कि खुद मरे जा रहे हैं उसकी चिंता नहीं है मगर महबूब अगर पूछे कि कैसी हो तो एक शब्द नहीं निकलेगा कि आ जाओ, मर रही हूँ. ये कैसी फितरत है...प्यार का ये कौन सा पहलू है मुझे आज तक समझ नहीं आता. कि जब आपको उसकी सबसे ज्यादा जरूरत महसूस होती है उस वक़्त आप चाहोगे कि वो खुद समझ जाए...बिना कहे हुए. इसलिए ये वाक्य बहुत खतरनाक है...इसका मतलब है कि आप जाओ, जहाँ भी है वो और उसे बाँहों में भर लो...लड़की बस इतना ही चाहती है.
कैसा होता है ये चाहना कि आप खुद कहो कि हाँ, अब चले जाओ, मैं ठीक हूँ जबकि दिल कहता है कि अभी कुछ देर और ठहर जाओ, दिल के टाँके कच्चे हैं...ज़ख्म थोड़ा भर जाने दो. उसपर जिंदगी ऐसी बेरहम है कि हालात ऐसे पैदा करती है कि वक़्त हमेशा कम पड़ता है...सोचो आप किसी आवाज़ को एक बार सुनने को तरस रहे हो...पर जानते हो कि वो ऑफिस में होगा...आप मेसेज करते हो...उधर से रिप्लाय आता है कि बीजी हूँ, बाद में फ़ोन करूँ...तुम ठीक हो न? लड़की क्या करेगी...करना चाहिए कि फ़ोन कर ले...एक मिनट की आवाज़ सुन कर रख दे...पर वो करेगी नहीं...वो जवाब देगी...कि वो ठीक है...उसकी चिंता एकदम मत करो. उसका दिल चाहेगा कि कहे कि ऑफिस छोड़ के अभी घर आ जाओ...मैं बहुत परेशान हूँ पर वो करेगी क्या...मेसेज करेगी, खाने में क्या बनवा लूं?
इन दोनों वाक्यों के पीछे की पूरी कहानी जानना बेहद जरूरी है...ये वाक्य कभी भी फेस वैल्यू पर नहीं लिए जा सकते. इनके पीछे बहुत कुछ होता है...अक्सर रोती आँखें और खाली, सूना सा दिल होता है...खैर.
तुमसे कुछ कहना था आज...मैं तुमसे प्यार नहीं करती...और मैं ठीक हूँ...मेरी बिलकुल चिंता मत करो! :)
PS: स्माइली से धोखा मत खाइए...वो बस ध्यान भटकाने के लिए है, मैं देख रही थी कि ऊपर के भाषण का कोई असर हुआ भी है कि एक स्माइली से आप भटक जायेंगे
utkarsh-shukla.blogspot.com
nice post dear...
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