अन्ना हजारे फौज की अपनी नौकरी के दौरान ठंडी जगहों पर तैनाती के समय रोज दो पैग रम पिया करते थे। लेकिन उनका कहना है कि स्वामी विवेकानंद को पढ़ने के बाद उन्होंने रोज दो पैग रम और एक सिगरेट पीने की अपनी आदत छोड़ दी।
एक साक्षात्कार में अन्ना हजारे ने बताया कि फौज में रहने के दौरान वह रोजाना दो पैग शराब पीते थे लेकिन जब से उन्होंने स्वामी विवेकानंद को जाना उनके जीवन की दिशा बदल गई।
हजारे ने न सिर्फ खुद शराब से तौबा की बल्कि फौज से लौटने के बाद अपने गांव में चल रही शराब की दुकानों को भी बंद करा दिया।
गांधीवादी कार्यकर्ता के प्रयासों के चलते आज उनके गांव रालेगण सिद्धि में किसी दुकान पर शराब यहां तक कि बीड़ी-सिगरेट और गुटखा जैसी वस्तुएं भी नहीं बिकती हैं। अन्ना हजारे ने कहा कि उनके जीवन में विवेकानंद पहले आए और गांधी बाद में।
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