शुक्रवार, 23 दिसंबर 2011

' माँ '

' मेरी तकलीफ को मुझसे पहले कैसे पहचान लेतीं है वो,कुछ उलझन है मुझे ये कैसे मान लेतीं है वो,खुद के ग़मों को तो होंठों तक आने देता नहीं हूँ मैं, क्या धड़कन से ही सब कुछ ही जान लेतीं हैं वो |"


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